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25 Oct 2021 · 1 min read

शरद का चंद्रमा

शरद का चंद्रमा प्यारा, हमें कितना लुभाता है।
कलाधर बन गगन में यह, सुबह तक जगमगाता है।।

शरद की पूर्णिमा का दिन, बड़ा पावन, बड़ा शीतल।
धवल आकाश स्वर्णिम सा, शरद की रात अतिसोमल।।
चतुर्दिक बूंद अमृत की, धरातल पर गिराता है।
शरद का चंद्रमा प्यारा, हमें कितना लुभाता है।।

छटा सोलह कलाओं की, गगन में भव्य दिखती है।
चराचर प्राणियों को यह, प्रभा विश्रांत करती है।।
जगत को प्राणबल देकर, सुखद आरोग्य लाता है।
शरद का चंद्रमा प्यारा, हमें कितना लुभाता है।।

/जगदीश शर्मा सहज

Language: Hindi
Tag: गीत
320 Views
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