Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Apr 2024 · 1 min read

वक्त-वक्त की बात है

#दिनांक:-6/4/2024
#शीर्षक:-वक्त-वक्त की बात है।

कट्टी पक्की की यारी,
रोज होती नयी त्यौहारी।
दिल दौलत से अमीर था,
पहले झगड़े फिर मनुहारी।
गद-गद हो जाता तन-मन,
गर्मी की छुट्टी में रमता मन।
नानी की प्यार वाली दवाई,
चाय में घुलती सुबह सबेरे लाई।
चीनी नहीं हम गुड़ के थे साथी,
भाती हमको बस सवारी हाथी।
बड़ी मनमोहक बड़े कामदार थे,
हमीं चोर हमीं हवलदार थे ।
माँ समान आलिंगन करते भाई-बहन,
तनिक भी दूरी ना होती थी सहन ।
अब चलन दूरी का चल पड़ा है,
अब साथ न रहने की जिद पर अड़ा है।
आज हँसी-ठिठोली के दिन लद गए ,
सच्चाई भी झूठे मजाक बन गए।
बड़ा याद आता अपना बचपन,
महक दूर तक पहुॅचती पूरी छनन।
चाव और चाह थे एक पथ के राही,
नरकट की कलम थी दवात भरी स्याही।
रगड़-रगड़ कर रोज सुबह छिड़कते दुद्धी,
एक बार मार खाते आ जाती थी बुद्धी।
वक्त-वक्त की बात है,
फोन से ही दिन और फोन ही रात है….।

(स्वरचित,मौलिक)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई

Language: Hindi
23 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चाहत में उसकी राह में यूं ही खड़े रहे।
चाहत में उसकी राह में यूं ही खड़े रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
"सफर"
Yogendra Chaturwedi
बौराये-से फूल /
बौराये-से फूल /
ईश्वर दयाल गोस्वामी
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
Sanjay ' शून्य'
बेफिक्र अंदाज
बेफिक्र अंदाज
SHAMA PARVEEN
फूलों की ख़ुशबू ही,
फूलों की ख़ुशबू ही,
Vishal babu (vishu)
*हजारों साल से लेकिन,नई हर बार होली है 【मुक्तक 】*
*हजारों साल से लेकिन,नई हर बार होली है 【मुक्तक 】*
Ravi Prakash
बैठाया था जब अपने आंचल में उसने।
बैठाया था जब अपने आंचल में उसने।
Phool gufran
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
“अनोखी शादी” ( संस्मरण फौजी -मिथिला दर्शन )
DrLakshman Jha Parimal
शंकर हुआ हूँ (ग़ज़ल)
शंकर हुआ हूँ (ग़ज़ल)
Rahul Smit
अपनाना है तो इन्हे अपना
अपनाना है तो इन्हे अपना
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
World Book Day
World Book Day
Tushar Jagawat
कोहरा
कोहरा
Ghanshyam Poddar
आया सावन झूम के, झूमें तरुवर - पात।
आया सावन झूम के, झूमें तरुवर - पात।
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक ऐसा दोस्त
एक ऐसा दोस्त
Vandna Thakur
सुप्रभात
सुप्रभात
डॉक्टर रागिनी
श्रम करो! रुकना नहीं है।
श्रम करो! रुकना नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
"ङ से मत लेना पङ्गा"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्ते
रिश्ते
Harish Chandra Pande
निज़ाम
निज़ाम
अखिलेश 'अखिल'
*चैतन्य एक आंतरिक ऊर्जा*
*चैतन्य एक आंतरिक ऊर्जा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
हिन्दू नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
निशांत 'शीलराज'
3183.*पूर्णिका*
3183.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सीढ़ियों को दूर से देखने की बजाय नजदीक आकर सीढ़ी पर चढ़ने का
सीढ़ियों को दूर से देखने की बजाय नजदीक आकर सीढ़ी पर चढ़ने का
Paras Nath Jha
पहले खंडहरों की दास्तान
पहले खंडहरों की दास्तान "शिलालेख" बताते थे। आने वाले कल में
*Author प्रणय प्रभात*
राम नाम की धूम
राम नाम की धूम
surenderpal vaidya
सफर अंजान राही नादान
सफर अंजान राही नादान
VINOD CHAUHAN
Loading...