ज़माना इश्क़ की चादर संभारने आया ।
मजबूरन पैसे के खातिर तन यौवन बिकते देखा।
श्याम सुंदर तेरी इन आंखों की हैं अदाएं क्या।
तुम्हारी जाति ही है दोस्त / VIHAG VAIBHAV
💐अज्ञात के प्रति-140💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
वो अपने घाव दिखा रहा है मुझे
आप अपने मन को नियंत्रित करना सीख जाइए,
अभी सत्य की खोज जारी है...
Vishnu Prasad 'panchotiya'
ख्वाहिशों की ना तमन्ना कर
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सब छोड़ कर चले गए हमें दरकिनार कर के यहां
मैं भटकता ही रहा दश्त ए शनासाई में
"चार पैरों वाला मेरा यार"
हम जब लोगों को नहीं देखेंगे जब उनकी नहीं सुनेंगे उनकी लेखनी
*बारिश का मौसम है प्यारा (बाल कविता)*