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20 Feb 2022 · 1 min read

ऊषारानी

ऊषारानी ओस भरी चादर लाई।
धीरे-धीरे धूप खिली रौनक आई।।

पूर्वाओं ने बादल को सोमलता दी।
बूंदों ने वातायन को शीतलता दी।।

ठंडी-ठंडी तेज हवाएँ चलती हैं।
बूढ़ों को वो तीर सरीखी चुभती हैं।।

भीना-भीना मौसम मध्यान्ह अजूबा ।
संध्या ने शृंगार किया सूरज डूबा।।

जगदीश शर्मा सहज

Language: Hindi
1 Comment · 281 Views
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