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26 Nov 2023 · 1 min read

सरस्वती वंदना-2

गीतिका
वीणा धारिणि मातु शारदा , बैठ हंस पर आना।
नव लेखन में हूँ प्रयास रत,मुझको जरा सिखाना।।

यति गति ताल छंद से मेरा,परिचय मातु कराओ,
लिखूँ गीतिका माता मैं तुम,त्रुटियाँ मुझे बताना।

नव पीढी तो भ्रमित तो रही,सत्पथ उसे दिखाओ,
क्रूर पातकी पंजों से माँ, हरपल उसे बचाना।

सबको चिंता केवल अपनी, स्वारथ में सब डूबे,
परमारथ ही जीवन है ये,सबको है समझाना।

मेरी जीवन साध यही है, निरत रहूँ लेखन में,
इसीलिये मैं चाह रहा माँ,चरणों निकट ठिकाना।।

शरण आपकी आया माता,मैं जड़मति अज्ञानी,
करो कृपा हे मातु सरस्वति,सीखूँ छंद बनाना।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

Language: Hindi
125 Views
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