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17 Mar 2021 · 1 min read

साथी से मिलने का मौसम

सूखा पतझर नीचे बिखरा, नूतन कोपल उग आई है।
झूमी हर डाली मतवाली, सुरभित हरियाली छाई है।।

शाखाओं ने शृङ्गार किया , पहना हो जैसे हार नया ।
बलखाती अलबेली लतिका, दुल्‍हन जैसा आकार नया ।

पर्वत से चलकर पुरवइया, खूश्‍बू के झोंके लाई हैं ।।
धरती पर बिखरी शीतलता, वासंती शोभा छाई है।।

अंतिम अभिलाषा थी जिनकी, उन पेड़ों का यौवन निखरा ।
गुलशन के नन्हें जीवों का, मधुरस पीकर जीवन निखरा ।।

अमुआ की सुंदर डाली पर, धीरे से आया बौर नया ।
कोयल कूकी बागानों में, अलसाये अली का ठौर नया ।।

अचरज में है बूढ़ा बरगद, पीपल में आई जान नई ।
वीरान हुई जो इमली थी, चेहरे पर है मुस्‍कान नई ।।

रूखे-सूखे झंखाड़ों में, चेतनता का संचार हुआ ।
नीरस मानव के मन में भी, मादकता का संचार हुआ ।।

मधुमासी ये सुंदर मौसम, फूलों के खिलने का मौसम ।
भीना-भीना प्‍यारा मौसम, साथी से मिलने का मौसम ।।

(जगदीश शर्मा सहज ,१५/०३/२०२१)

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 354 Views
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