Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Sep 2021 · 1 min read

पेटू

रिश्वत खा-खा कर हुए, “पेटू” पोपटलाल।
सरकारी ससुराल में , खींच रहे हैं माल ।।
खींच रहे हैं माल, प्रशासन की इनको सह।
जनता को दुत्कार, हमेशा भटकाते यह ।।
धोखे से यदि पुलिस, इन्हें देती है दिक्कत।
चुपके से कुछ भाग, खिला देते हैं रिश्वत ।।

-जगदीश शर्मा सहज
अशोकनगर

1 Like · 2 Comments · 373 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोहावली ओम की
दोहावली ओम की
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
दर जो आली-मकाम होता है
दर जो आली-मकाम होता है
Anis Shah
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
तू सुन ले मेरे दिल की पुकार को
gurudeenverma198
वंशवादी जहर फैला है हवा में
वंशवादी जहर फैला है हवा में
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आज के युग में कल की बात
आज के युग में कल की बात
Rituraj shivem verma
*कभी  प्यार में  कोई तिजारत ना हो*
*कभी प्यार में कोई तिजारत ना हो*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बेटियाँ
बेटियाँ
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
#drarunkumarshastriblogger
#drarunkumarshastriblogger
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिंदगी जी कुछ अपनों में...
जिंदगी जी कुछ अपनों में...
Umender kumar
मेरी मोहब्बत पाक मोहब्बत
मेरी मोहब्बत पाक मोहब्बत
VINOD CHAUHAN
तू क्यों रोता है
तू क्यों रोता है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
हो अंधकार कितना भी, पर ये अँधेरा अनंत नहीं
हो अंधकार कितना भी, पर ये अँधेरा अनंत नहीं
पूर्वार्थ
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
मन चाहे कुछ कहना .. .. !!
Kanchan Khanna
आस्था
आस्था
Neeraj Agarwal
रमेशराज के 2 मुक्तक
रमेशराज के 2 मुक्तक
कवि रमेशराज
"मुश्किल वक़्त और दोस्त"
Lohit Tamta
रिश्ते
रिश्ते
Dr fauzia Naseem shad
नये गीत गायें
नये गीत गायें
Arti Bhadauria
फ़ुर्सत में अगर दिल ही जला देते तो शायद
फ़ुर्सत में अगर दिल ही जला देते तो शायद
Aadarsh Dubey
मेरी मुस्कान भी, अब नागवार है लगे उनको,
मेरी मुस्कान भी, अब नागवार है लगे उनको,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
#कटाक्ष
#कटाक्ष
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ कमीने आज फ़ोन करके यह कह रहे चलो शाम को पार्टी करते हैं
कुछ कमीने आज फ़ोन करके यह कह रहे चलो शाम को पार्टी करते हैं
Anand Kumar
सुप्रभात
सुप्रभात
Arun B Jain
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
मन मंथन पर सुन सखे,जोर चले कब कोय
Dr Archana Gupta
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चलो चलाए रेल।
चलो चलाए रेल।
Vedha Singh
"स्मार्ट विलेज"
Dr. Kishan tandon kranti
वही पर्याप्त है
वही पर्याप्त है
Satish Srijan
तू जो कहती प्यार से मैं खुशी खुशी कर जाता
तू जो कहती प्यार से मैं खुशी खुशी कर जाता
Kumar lalit
न  सूरत, न  शोहरत, न  नाम  आता  है
न सूरत, न शोहरत, न नाम आता है
Anil Mishra Prahari
Loading...