Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Jul 2023 · 1 min read

वंशवादी जहर फैला है हवा में

वंशवादी जहर फैला है हवा में
भेद की रोटी पड़ी है हर तवा में
साम का तो नाम ही अब मिट गया है
दाम द्वारा दण्ड से होती दवा में ।

महेश चन्द्र त्रिपाठी

159 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महेश चन्द्र त्रिपाठी
View all
You may also like:
-- कैसा बुजुर्ग --
-- कैसा बुजुर्ग --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
न जागने की जिद भी अच्छी है हुजूर, मोल आखिर कौन लेगा राह की द
Sanjay ' शून्य'
'आप ' से ज़ब तुम, तड़ाक,  तूँ  है
'आप ' से ज़ब तुम, तड़ाक, तूँ है
सिद्धार्थ गोरखपुरी
उसको देखें
उसको देखें
Dr fauzia Naseem shad
रे ज़िन्दगी
रे ज़िन्दगी
Jitendra Chhonkar
बाबू
बाबू
Ajay Mishra
हँसी
हँसी
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
जिंदगी का सफर
जिंदगी का सफर
Gurdeep Saggu
कुछ काम करो , कुछ काम करो
कुछ काम करो , कुछ काम करो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
चेहरे का रंग देख के रिश्ते नही बनाने चाहिए साहब l
चेहरे का रंग देख के रिश्ते नही बनाने चाहिए साहब l
Ranjeet kumar patre
राम काव्य मन्दिर बना,
राम काव्य मन्दिर बना,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
रक्त के परिसंचरण में ॐ ॐ ओंकार होना चाहिए।
Rj Anand Prajapati
भतीजी (लाड़ो)
भतीजी (लाड़ो)
Kanchan Alok Malu
■ अक़्सर...
■ अक़्सर...
*Author प्रणय प्रभात*
कलियों  से बनते फूल हैँ
कलियों से बनते फूल हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
धूमिल होती यादों का, आज भी इक ठिकाना है।
धूमिल होती यादों का, आज भी इक ठिकाना है।
Manisha Manjari
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
पूर्वार्थ
दिल से जाना
दिल से जाना
Sangeeta Beniwal
"कोढ़े की रोटी"
Dr. Kishan tandon kranti
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अनुराग
अनुराग
Bodhisatva kastooriya
महाकाल भोले भंडारी|
महाकाल भोले भंडारी|
Vedha Singh
नींद आने की
नींद आने की
हिमांशु Kulshrestha
पिता के पदचिह्न (कविता)
पिता के पदचिह्न (कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
यादों के तराने
यादों के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*चाहता दो वक्त रोटी ,बैठ घर पर खा सकूँ 【हिंदी गजल/ गीतिका】*
*चाहता दो वक्त रोटी ,बैठ घर पर खा सकूँ 【हिंदी गजल/ गीतिका】*
Ravi Prakash
चन्द्रयान
चन्द्रयान
Kavita Chouhan
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
आजकल अकेले में बैठकर रोना पड़ रहा है
Keshav kishor Kumar
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
समकालीन हिंदी कविता का परिदृश्य
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...