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15 Feb 2024 · 1 min read

अनुराग

मुझे तुमसे अनुराग कितना है?
पुष्प में मीठा पराग जितना है!!
भ्रमर स्वादन चाहे कितना करे,
पुनर्निर्माण का सम्भाग उतना है!! मुझे तुमसे…

माँ की ममता दूध से बहती है
जीव पालन की वेदना सहती है!
फिर भी निश्चल निष्काम प्रेम की,
अविरल धर आंचल में रहती है !!
उसी निश्चल प्रेम का प्रतिफल हूं,
जो विवाह के सुहाग जितना है!!मुझे तुमसे…

उषा भास्कर की प्रथम किरण से,
प्रेम हर कोई समझ सकता है नहीं!
है वो एहसास जो किसी का भाव,
विश्व में कभी कहीं बिकता नहीं !!
बेशक तुम उसका नम प्रत्युतर नहीं,
देखो मौन में भी वैराग कितना है ?मुझे तुमसे…

सर्वाधिकार सुरक्षा मौलिक रचना बोधिसत्व कस्तूरिया एडवोकेट कवि पत्रकार सिकंदरा आगरा -282007 मोबी:9412443093

Language: Hindi
71 Views
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