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26 Nov 2021 · 1 min read

मुक्तक (विधाता छन्द)

विनत होकर सहारा दे , वही इंसान होता है |
रसीला वृक्ष फल देता, उसी का मान होता है ||
अकड़ में जो सदा रहता, जगह दिल में नहीं पाता |
अकेला ठूँठ जंगल में पड़ा, वीरान होता है || (१)
—–*—— ——*—— —–*——-
किसी शुभ कार्य की पुरजोर, तैयारी करो पहले |
मृदुल व्यवहार के बल पर, सदाचारी करो पहले ||
निखरता है तभी जीवन तुम्हें,शुभकीर्ति मिलती है||
सफल इंसान से संवाद कर, यारी करो पहले || (२)

जगदीश शर्मा सहज

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 396 Views
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