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23 Mar 2024 · 1 min read

सत्य की खोज

एक राही,
भटकते रहा,
सत्य की खोज में,
रोशनी तले अंधेरा,
राही को समझ नहीं आया ।

सत्य की खोज में,
तीर्थयात्रा जारी रही,
माता–पिता की सेवा सें परे,
अपने ही घर की चारधाम,
राही को समझ नहीं आया ।

खाली हाथ,
पिता स्वयं अभावग्रस्त,
कमी महसूस न होने दिया,
अपने ही ठाट–बाट का राज,
राही को समझ नहीं आया ।

बिमारी हालात,
फिर भी सकुशलता की बात,
माँ करती रही,
सदैव मुस्कुराना खुद की रहस्य,
राही को समझ नही.आया ।

मसान घाट,
मुर्दे की मुखाग्नि,
जलता हुआ शरीर देख,
सत्य क्या है ?
तब राही को समझ में आया ।

#दिनेश_यादव
काठमाण्डू (नेपाल)

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