Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jul 2023 · 2 min read

मृत्यु पर विजय

दस साल का नन्हा सा मासूम वैभव अपने दादाजी से कहानियां सुनने का आदी था, उसके दादाजी हर रोज उसे अच्छी मनोरंजक और प्रेरक कहानियां सुनाते थे।

आज उसके दादाजी ने उसे आध्यात्मिक ज्ञान देने के उद्देश्य से दैत्यों को मृत्यु पर विजय प्राप्त करने के लिए ब्रह्माजी की तपस्या करने और अमरता के वरदान के स्थान पर अतुल्य शक्ति पाकर देवताओं से युद्ध करके अपना ही विनाश कर लेने की कहानी सुनाई थी।

जब से उसने अपने दादाजी से ये कहानी सुनी थी तबसे उसके मासूम दिमाग में एक ही प्रश्न उमड़ रहा था, कि क्या सचमुच में कोई मृत्यु पर विजय प्राप्त कर सकता है या फिर ये एक कल्पना मात्र है।

अब उसने इस बारे में अपने दादाजी से ही पूछने की सोची क्योंकि वो अपने दिमाग में उठने वाले हर सवाल का जवाब अपने दादाजी से ही पूछा करता था और उसके दादाजी भी उसे जवाब देकर उसकी जिज्ञासा शांत कर दिया करते थे।

मासूम वैभव अपना सवाल लेकर पहुंच गया था अपने दादाजी के पास, जहां उसके दादाजी ने उसे प्यार से अपने पास बिठाया और उससे बोले, बोलो बेटा कुछ पूछना चाहते हो क्या जो ऐसे अशांत लग रहे हो।

वैभव बोला दादाजी मुझे जानना है कि कोई मृत्यु पर विजय प्राप्त कैसे कर सकता है? इस पर उसके दादाजी मुस्कुराए और बोले बेटा! मृत्यु तो जीवन का यथार्थ सत्य है…..वो किसी के टाले नहीं टल सकती……जीवन और मृत्यु एक पहिए के दो पहलू हैं और ये निश्चित है।

दादाजी के इस जवाब को सुनकर अब मासूम वैभव उदास सा दिखने लगा तो उसके दादाजी ने फिर से बोला बेटा! ये सत्य है कि मृत्यु टाले नहीं टल सकती, लेकिन इंसान को अपने जीवन में ऐसे अच्छे कार्य करने चाहिए जिससे मृत्यु के बाद भी दुनिया में उसे याद किया जाए और उसका नाम लिया जाए।

इस तरह से इंसान तो मरकर खत्म हो जाता है लेकिन उसके अच्छे कर्मों से उसका नाम अमर हो जाता है और यही है असली “मृत्यु पर विजय”……..

✍️मुकेश कुमार सोनकर “सोनकर जी”
रायपुर, छत्तीसगढ़ मो.नं.9827597473

1 Like · 317 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बरसात के दिन
बरसात के दिन
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
संकल्प
संकल्प
Shyam Sundar Subramanian
एक शख्स
एक शख्स
Pratibha Pandey
NeelPadam
NeelPadam
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ऐसी बरसात भी होती है
ऐसी बरसात भी होती है
Surinder blackpen
जय अयोध्या धाम की
जय अयोध्या धाम की
Arvind trivedi
अफवाह आजकल फॉरवर्ड होती है(हास्य व्यंग्य)*
अफवाह आजकल फॉरवर्ड होती है(हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
ठोकरें कितनी खाई है राहों में कभी मत पूछना
ठोकरें कितनी खाई है राहों में कभी मत पूछना
कवि दीपक बवेजा
" गुरु का पर, सम्मान वही है ! "
Saransh Singh 'Priyam'
"अ अनार से"
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल/नज़्म - मैं बस काश! काश! करते-करते रह गया
ग़ज़ल/नज़्म - मैं बस काश! काश! करते-करते रह गया
अनिल कुमार
सुप्रभात
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
फितरत
फितरत
Dr.Khedu Bharti
हम तो यही बात कहेंगे
हम तो यही बात कहेंगे
gurudeenverma198
सवाल~
सवाल~
दिनेश एल० "जैहिंद"
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
यदि कोई केवल जरूरत पड़ने पर
यदि कोई केवल जरूरत पड़ने पर
नेताम आर सी
रूह का भी निखार है
रूह का भी निखार है
Dr fauzia Naseem shad
💐प्रेम कौतुक-428💐
💐प्रेम कौतुक-428💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
पेड़ काट निर्मित किए, घुटन भरे बहु भौन।
विमला महरिया मौज
नीलम शर्मा ✍️
नीलम शर्मा ✍️
Neelam Sharma
नज़राना
नज़राना
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
10-भुलाकर जात-मज़हब आओ हम इंसान बन जाएँ
10-भुलाकर जात-मज़हब आओ हम इंसान बन जाएँ
Ajay Kumar Vimal
🌹जिन्दगी के पहलू 🌹
🌹जिन्दगी के पहलू 🌹
Dr Shweta sood
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
पूर्वार्थ
मेरी बेटी है, मेरा वारिस।
मेरी बेटी है, मेरा वारिस।
लक्ष्मी सिंह
!.........!
!.........!
शेखर सिंह
अज़ाँ दिलों की मसाजिद में हो रही है 'अनीस'
अज़ाँ दिलों की मसाजिद में हो रही है 'अनीस'
Anis Shah
यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
यें सारे तजुर्बे, तालीम अब किस काम का
Keshav kishor Kumar
■ मुक्तक-
■ मुक्तक-
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...