डरना नही आगे बढ़ना_
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
नफ़रत कि आग में यहां, सब लोग जल रहे,
ये इंसानी फ़ितरत है जनाब !
शिक्षक जब बालक को शिक्षा देता है।
Kr. Praval Pratap Singh Rana
रोटी की ख़ातिर जीना जी
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*यूं सताना आज़माना छोड़ दे*
आया सावन झूम के, झूमें तरुवर - पात।
एक नासूर हो ही रहा दूसरा ज़ख्म फिर खा लिया।
रामभरोसे चल रहा, न्यायालय का काम (कुंडलिया)
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Hasta hai Chehra, Dil Rota bahut h
मैं उसका ही आईना था जहाँ मोहब्बत वो मेरी थी,तो अंदाजा उसे कह
उस दिन पर लानत भेजता हूं,