Bharti Das 51 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Bharti Das 14 Feb 2024 · 1 min read ऋतुराज संग लाया बहार ऋतुराज संग लाया बहार मादक भरी बहती बयार सुंदर मधुर कोमल सा प्यार खोया कहां निर्मल करार. मुरझा रहा बागों में फूल सहमा बहुत है सुमन-समूल कुपित व्यथित हो उड़ा... Hindi · कविता 2 550 Share Bharti Das 12 Jun 2023 · 1 min read आषाढ़ी संध्या घिर आई श्याम रंग घन नभ में छाया आषाढ़ का मास सघन हो आया वर्षा का परिचित स्वर सुनकर नाच रहा मन झूम-झूम कर पादप-विटप लता-तरुओं पर दूर-दूर बिखरे-सूखों पर उमड़-घुमड़ कर... Poetry Writing Challenge · कविता 3 4 299 Share Bharti Das 12 Jun 2023 · 1 min read गीता वचन शुभ ज्ञान है पापमोचन-तापशोषण गीता वचन शुभ ज्ञान है, कृष्ण की वाणी सुहानी से सुखद मन प्राण है. जन्म जीवन का जहां है मौत निश्चित है वहां मत शोक कर हे पार्थ तुम... Poetry Writing Challenge · कविता 4 4 180 Share Bharti Das 12 Jun 2023 · 1 min read वधू वसुधा सुख पाने को है मेले जैसा ही है संसार जहां साधनों का लगा भंडार विषय भोग से सजा बाजार लगे भागदौड़ में लोग हजार. परम पिता से बिछड़ रहे हैं लोभ मोह से संवर... Poetry Writing Challenge · कविता 3 193 Share Bharti Das 12 Jun 2023 · 1 min read वक्त हूं मैं बदल जाता हूं हर कर्तव्य निभा जाता हूं वक्त हूं मैं बदल जाता हूं.... देखता हूं सितारों का मेला चांद और सूरज का सब खेला मुदित स्नेह हर्षा जाता हूं वक्त हूं मैं... Poetry Writing Challenge · कविता 2 262 Share Bharti Das 12 Jun 2023 · 1 min read वृक्ष हमें तो जीवन देती वृक्ष हमें तो जीवन देती सांसों में खुश्बू भर देती सूरज की किरणों से बचाती नभ से जल की बूंदे लाती हरियाली वृक्षों की न्यारी धरती लगती प्यारी-प्यारी कोयल गाती... Poetry Writing Challenge · कविता 1 88 Share Bharti Das 12 Jun 2023 · 1 min read पुष्प वृक्ष के ह्रदय का आनंद होता पुष्प उल्लास अभिव्यक्ति का आवाज होता पुष्प पवित्र भावनाओं का प्रतीक होता पुष्प सुकोमल संवेदना का चित्र होता पुष्प कहता है सुमन हे श्रेष्ठ... Poetry Writing Challenge · कविता 2 104 Share Bharti Das 12 Jun 2023 · 1 min read वो पाठशाला कहाते हैं देवमंदिर के प्रांगण जैसे श्रद्धावत शीश नवाते हैं, जीवन-पाठ जहां पर पढ़ते वो पाठशाला कहाते हैं. हर दिन कुछ नया सिखाते शिष्टाचार समझाते हैं, अनुशासन की सीख से सारे सदाचार... Poetry Writing Challenge · कविता 79 Share Bharti Das 11 Jun 2023 · 1 min read बाल कविता (बीत गई छुट्टी मनोहारी) बाय-बाय नानी बाय-बाय दादी ख़त्म हुयी सारी आजादी... इतनी सुन्दर इतनी प्यारी बीत गयी छुट्टी मनोहारी खुल़े हैं स्कूल ख़ुशी है आधी खत्म हुयी सारी आजादी ... तेज धूप में... Poetry Writing Challenge · कविता 2 160 Share Bharti Das 11 Jun 2023 · 1 min read ब्रम्ह बीज होती है विद्या ब्रह्म बीज होती है विद्या जो स्वयं को ही बोधित करती है अंतस की सुंदर जमीन पर ज्ञान तरू बनकर फलती है. हर कोई शिक्षा पाता है कौशल निपुण बन... Poetry Writing Challenge · कविता 2 177 Share Bharti Das 11 Jun 2023 · 1 min read सादर सदैव पूजनीय होते भावनाओं के अनुकूल ही निर्माण व्यक्तित्व का होता है ना हो उपेक्षा ना हो अपमान सहज स्वभाव जिनका होता है. सृष्टि के हर एक कण में रहस्य यही तो समाया... Poetry Writing Challenge · कविता 2 2 185 Share Bharti Das 11 Jun 2023 · 1 min read तुम ही मंगल मोद हो दृग बिछाये सारा जग ये राह तेरी निहारते थाल पूजा की सजाये अपना तन-मन वारते. कर मनोहर पुष्प माला भक्त तुझको अराधते दूर कर बाधा विधाता मंत्र जप तप साधते.... Poetry Writing Challenge · कविता 2 206 Share Bharti Das 11 Jun 2023 · 1 min read जीवन का सुख सारा बचपन जीवन का सुख सारा बचपन प्यारा-न्यारा-दुलारा बचपन नहीं थी चिंता कोई फिकर-गम अल्हड़पन में डूबा निडर मन मां की ममता पिता का डर जिद्दी बन हठ करता मगर दादी मां... Poetry Writing Challenge · कविता 2 243 Share Bharti Das 11 Jun 2023 · 1 min read तुम ज्योतिर्मय तुम करुणाकर हे वंशीधर यदुकुल सुन्दर तुम ज्योतिर्मय तुम करुणाकर... लेकर अपने भाव की माला वंदन करती हूँ नन्द-लाला अहंकार सब लो मेरा हर तुम ज्योतिर्मय तुम करुणाकर... अब शेष रहे न... Poetry Writing Challenge · कविता 1 79 Share Bharti Das 11 Jun 2023 · 1 min read विश्व में बस एक है जड़ता-कटुता-हिंसा ने सभ्यता को पंक बना दिया मिट्टी के पुतले बनकर मानवता को मुरझा दिया. संस्कृति पर जो हमारी द्वेषवश हंसते रहे राष्ट्र की कीर्ति संपदा को पद तले मलते... Poetry Writing Challenge · कविता 1 73 Share Bharti Das 11 Jun 2023 · 1 min read दोस्त वही जो ढाल बने उर से उर की तार मिले दुख-सुख में सौ बार मिले दोस्त वही जो ढाल बने दुश्मन के लिए तलवार बने. ना धर्म लड़े ना कर्म लड़े दिन-रात हो जिससे... Poetry Writing Challenge · कविता 1 88 Share Bharti Das 8 Jun 2023 · 1 min read है श्रावणी का त्योहार चूड़ी बिंदी मेंहदी काजल हंसता मुखड़ा उड़ता आंचल छन-छन धुन में बजती पायल उदगार भरा है अपार है श्रावणी का त्योहार.... हरीतीमा हर्षित हरियाली सजे हैं झूले डाली-डाली लड़ी हो... Poetry Writing Challenge · कविता 1 94 Share Bharti Das 8 Jun 2023 · 1 min read पावन है भोलेनाथ का सावन आत्मस्थित जो महादेव हैं वही अघोर हैं वही अभेद हैं वही पवित्र हैं वही हैं पावन वही संहारक वही हैं जीवन कहीं हर्ष है कहीं शोक है विषम दशा में... Poetry Writing Challenge · कविता 156 Share Bharti Das 8 Jun 2023 · 1 min read वो भगवान के रुप है केवल आभार व्यक्त करते हैं उनको जिनके सेवा से मिलता जीवन रात-दिन और आठों पहर जो करते हैं कठिन परिश्रम. स्पंदन भरने को उर में निज अस्तित्व को भूल जाते हैं... Poetry Writing Challenge · कविता 74 Share Bharti Das 8 Jun 2023 · 1 min read स्वर वर्ण का ज्ञान हो (बाल कविता) अ - अनार के दाने होते लाल आ - आम रसीले मीठे कमाल इ - इमली खट्टी होती है ई - ईट की भट्ठी जलती है उ - उल्लू दिन... Poetry Writing Challenge · कविता 247 Share Bharti Das 8 Jun 2023 · 1 min read भक्ति को ना बदनाम करे भक्ति को ना बदनाम करें गौरी शंकर का गुणगान करें.... भक्ति के व्यापक अर्थ जो जाने सत्य ही शिव है वो पहचाने मूढमति उलझन में भटके प्रभु नागेश्वर का ध्यान... Poetry Writing Challenge · कविता 131 Share Bharti Das 8 Jun 2023 · 1 min read पोषित करती मां संस्कार दशानन के पिता ऋषि थे पर मिला नहीं शिक्षण उदार आसुरी वृत्तियों से संपन्न माता थी उनकी बेशुमार. दारा शिकोह को भाई ने मारा कितना कलंकित था वो प्यार शाहजहां... Poetry Writing Challenge · कविता 65 Share Bharti Das 8 Jun 2023 · 1 min read बंधन मोक्ष का बनता कारण मन ही शत्रु मन ही मित्र मन ही चिंतन मन ही चरित्र मन से ही है दशा-दिशा मन से ही है कर्म समृद्ध. मन ही शक्ति मन ही ताकत मन... Poetry Writing Challenge · कविता 93 Share Bharti Das 8 Jun 2023 · 1 min read श्री राम राघव जय करे हे जग आराधक भक्त साधक श्री राम-राघव जय करे दीन पोषक क्षोभ शोषक मोह नाशक भय हरे. कमल लोचन भगत बोधन शील संयम शुभ करे आदर्श वाचन पतित पावन दंभ... Poetry Writing Challenge · 6 कविता 122 Share Bharti Das 8 Jun 2023 · 1 min read हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के हे श्रेष्ठ युग सम्राट सृजन के नमन अनेकों विराट कलम के.... लेखों के सुन्दर मधुवन में सीखों के अनुपम उपवन में मधुर विवेचन संचित बन के नमन अनेकों विराट कलम... Poetry Writing Challenge 80 Share Bharti Das 20 May 2023 · 1 min read हे सर्वस्व सुखद वर दाता हे सर्वस्व सुखद वर दाता चिर आनंद जहां पर पाता हरी भरी सी सुभग छांव में हंसते गाते सब सहज गांव में उस मनहर बरगद की छाया जहां विद्व जन... Hindi · कविता 2 524 Share Bharti Das 14 May 2023 · 1 min read मां की महत्ता समझ में आये पूर्ण-चन्द्र की शीतलता सी खिले-पुष्प की कोमलता सी मृदुल-स्नेह की विह्वलता सी ईश की अनुपम सुन्दरता सी. दायित्व निभाती हर पल सारे बहाती ममता साँझ-सकारे निर्बाध रूप सरिता सी बहकर... Poetry Writing Challenge · कविता 3 709 Share Bharti Das 17 Apr 2023 · 1 min read नियति की विषम लेखनी जो आनद प्राप्त कर मानव निज सर्वस्व लुटा जाता है पंथ-हीन राहों को चुनकर दल-दल में ही फंस जाता है कठिन दण्ड को पाकर भी वही दुष्कर्म को दुहराता है... Hindi · कविता 1 344 Share Bharti Das 19 Jan 2023 · 1 min read ये शीत रैन करते बेचैन सूर्यदेव हो चले हैं अस्त निज रश्मियों को लिए समेट प्रभात का चिन्ह रहा न शेष रातों ने अपनी सजायी सेज. हुए दूर सघनता में विलीन नभ की अनंतता है... Hindi · कविता 2 2 243 Share Bharti Das 30 Nov 2022 · 1 min read मुकुट सुनहरा है कश्मीर "कितनी खूबसूरत ये तश्वीर है ये कश्मीर है ये कश्मीर है" बरसो पहले बनी ये गीत खुशहाली थी जहाँ की रीत सरलता में ही बसता था जीवन निरालापन था जिनका... Hindi 1 2 224 Share Bharti Das 31 Oct 2022 · 1 min read इंदिरा प्रियदर्शिनी माता-पिता की वो लाडली थी बचपन में नाजों से पली थी विरासत में राजनीति मिली थी स्वभाव से वो बड़ी भली थी. विघ्नों की दौर आन पड़ी थी दादा-पिता पर... Hindi · कविता 1 2 337 Share Bharti Das 30 Sep 2022 · 1 min read तुम ही हो माँ सत्य स्वरूपा तुम ही स्वाहा तुम ही स्वधा तुम ही हो माँ सत्य स्वरूपा तुम ही .... तुम ही जीवन की सुधा हो तुम ही अक्षर की मात्रा हो सृष्टि तुम्ही से... Hindi · Poem 3 4 275 Share Bharti Das 28 Aug 2022 · 1 min read शिव पार्वती वंदन शत-शत नमन अर्पित सुमन शंकर-प्रिया मनमोहिनी सुन्दर-वसन शोभित-बदन पंकज-नयन सम्मोहिनी. सुख-भाग्य दे सौभाग्य दे अनुराग दे वरदायिनी हिम-नंदिनी हर-संगिनी वन्दे सकल शुभ दायिनी. हे महेश-भामिनी सुखद-यामिनी कैलाश-श्रृंग निवासिनी भव-मोचिनी शिव-योगिनी... Hindi 2 293 Share Bharti Das 10 Aug 2022 · 1 min read अभिनंदन है उर से वंदन अभिनंदन है उर से वंदन आया फिर से रक्षा बंधन.... करूण-नयन से नीर ना बहते संग हमारे भाई होते याद उन्हें करते हैं हर-क्षण आया फिर से रक्षा बंधन.... था... Hindi · कविता 1 2 262 Share Bharti Das 24 Jul 2022 · 1 min read जाना होगा सबको उस पार लेकर दुर्लभ मानव जीवन आशीष प्रभु का भर अंतर्मन मानव आता ज्योति जलाने पथ का सारा तिमिर मिटाने जीवन का करने उपयोग जन कल्याण का सुखद प्रयोग पर जाते हैं... Hindi · कविता 2 2 237 Share Bharti Das 25 Jun 2022 · 1 min read कालखंड में विद्यमान है बीज निकलकर पौधे बनते पौधे बन जाते हैं पेड़ सहज प्रक्रिया चलती रहती परिवर्तन की साँझ-सवेर. सूरज ढलता शाम है आती रात गुजरती होते भोर नई सुबह उत्साह जगाती विहग... Hindi · कविता 1 328 Share Bharti Das 1 Jun 2022 · 1 min read कहो जेठ तुम कब आये कहो जेठ तुम कब आये अशांत घड़ी थी व्यस्त बड़ी थी बोझिल पल हरवक्त पड़ी थी फूर्सत के क्षण ने कुछ गाये कहो जेठ तुम कब आये.... ज्योति प्रलय साकार... Hindi · कविता 2 5 431 Share Bharti Das 1 May 2022 · 1 min read श्रमेव जयते प्रथम किरण जब भू को छूती जब विहग-बालिके करती शोर मौन होकर श्रमिक निकलते कार्य वे करते भाव-विभोर. जेठ की तपती धूप वे सहते बारिश के सहते बौछार अनासक्त होकर... Hindi · कविता 3 4 327 Share Bharti Das 24 Apr 2022 · 1 min read कवि तुम गीत लिखो कुछ ऐसा कवि तुम गीत लिखो कुछ ऐसा अक्षर-अक्षर मुखरित होकर बोले प्रेम की भाषा कवि तुम ....... कला वही सच्ची कहलाती जिस चिंतन को चित्त अपनाती उर-स्पंदन के जैसा कवि तुम... Hindi · कविता 2 6 538 Share Bharti Das 17 Apr 2022 · 1 min read पिता-दिवस पिता-दिवस खुदा ने मुझको सजा ये दी है पिता-दिवस में पिता नहीं है हमारी उर की व्यथा यही है कहाँ पर होंगे पता नहीं है बरगद की छाया सी स्नेह... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 9 18 325 Share Bharti Das 17 Apr 2022 · 1 min read उन श्रेष्ठ पिता के चरणों देकर अपने नाम सदा ही जिसने हमें तराशा इक कोमल स्पर्श को पाकर तन-मन जिसका हर्षा. दृष्टि में कोमलता भरकर जिसने सिखाई भाषा देख के इक सुन्दर स्मित को जिसने... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 12 288 Share Bharti Das 2 Apr 2022 · 1 min read देवी वंदना तुझे नमन करने को आते जग के सारे भक्त-प्रवर मुझ जैसे मलीन जड़बुद्धि रहते खड़े ठगे से अक्सर, तुझे नमन.... दुविधा में ही जीती आई ज्योति किरण दिखाना माँ घिरा... Hindi · गीत 1 2 826 Share Bharti Das 21 Mar 2022 · 1 min read एक वो बिहार था थे वेदमंत्र के स्वर उभरते पवित्र कुरान की पढ़ती आयत न्याय की गरिमा बिखर गयी है पाशविकता ने दी है आहट. मोर्य वंश और गुप्त वंश का स्वर्णिम युग था... Hindi · कविता 1 337 Share Bharti Das 1 Mar 2022 · 1 min read हे भूतेश्वर हे दिगंबर हे भूतेश्वर हे दिगंबर तुम सर्वव्यापी नाथ शंकर सांसों में साकार बसकर प्राणों में आधार बनकर करुणा के आगार होकर दुष्टों को संहार कर-हर जग पे कर उपकार विषधर कर... Hindi · कविता 1 2 308 Share Bharti Das 20 Feb 2022 · 1 min read भावनाओं का दीप भावों की भव्यता में ही काव्य की धारा बहते हैं सौन्दर्य की सुरम्यता में ही रूप-माधुर्य निखरते हैं. कविता एक प्रवाह है भावों की अभिव्यक्ति है मन के तार से... Hindi · कविता 1 4 729 Share Bharti Das 12 Feb 2022 · 1 min read वोटरों पर निर्भर है वोटरों पर निर्भर है प्रजातंत्र की डोर राष्ट्र पर शासन करने की हिम्मत हो पुरजोर प्रजातंत्र का भविष्य है निर्भर वोट उसे दें जो हो बेहतर अपने प्रतिनिधि को चुनकर... Hindi · कविता 1 2 421 Share Bharti Das 1 Feb 2022 · 1 min read वो बेटी है जीवन में भरती नव-नव मोद खेलती-कूदती करती विनोद जो मनुहार में जीती है वो बेटी है..... जो रुद्ध कंठ से रोती है झकझोर ह्रदय को करती है जो पलकों पर... Hindi · कविता 6 4 387 Share Bharti Das 22 Jan 2022 · 1 min read वो थे एक अनमोल विभूति साक्षी है इतिहास सदा ही वो थे एक अनमोल विभूति उनके पवित्र पावों की धूलि महसूस हमेशा करती धरती. वे भारत के अमूल्य निधि थे भारतीयता थी उनकी पहचान ‘’... Hindi · कविता 2 12 489 Share Bharti Das 13 Jan 2022 · 1 min read एक त्योहार कई है नाम एक त्योहार कई है नाम है भारत की संस्कृति महान मकर-संक्रांति पोंगल लोहड़ी कहीं पर बनती स्वादिष्ट खिचड़ी तिल की मीठी लड्डू खाते खुशियों से हर दिल मुस्काते आसमान में... Hindi · कविता 2 5 691 Share Bharti Das 6 Jan 2022 · 1 min read पूस की रात कांपती हड्डियाँ ठिठुरते गात है निर्दय सी ये पूस की रात .... घुटनों में शीश झुका बैठे है कातर स्वर से पुकार उठे है न जाने कब होगी प्रभात ,... Hindi · कविता 1 452 Share Page 1 Next