Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2023 · 1 min read

पावन है भोलेनाथ का सावन

आत्मस्थित जो महादेव हैं
वही अघोर हैं वही अभेद हैं
वही पवित्र हैं वही हैं पावन
वही संहारक वही हैं जीवन
कहीं हर्ष है कहीं शोक है
विषम दशा में भूमि लोक है
गरल-पान कभी किये सदाशिव
थे द्वेष दंभ सब हरे महा शिव
जप-तप पूजा और अभिषेक
सदा ही करते भक्त प्रत्येक
सर्वत्र व्याप्त है जिनकी शक्ति
शव से बनते जो शिव की उक्ति
रूद्र का अंश है हर जीवात्मा
निराकार निर्लिप्त भावना
करते हैं नर-नारी साधना
अभय बनाते शिव-अराधना
मंजू मनोरथ पूर्ण हो सारे
चिन्मय आस्था रहे हमारे
पावन है भोलेनाथ का सावन
मंगलमय हो हर घर प्रांगण.
भारती दास ✍️

Language: Hindi
156 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Bharti Das
View all
You may also like:
सत्य दृष्टि (कविता)
सत्य दृष्टि (कविता)
Dr. Narendra Valmiki
अभी तो साथ चलना है
अभी तो साथ चलना है
Vishal babu (vishu)
2799. *पूर्णिका*
2799. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
शून्य हो रही संवेदना को धरती पर फैलाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आप हो
आप हो
Dr.Pratibha Prakash
जीने के तकाज़े हैं
जीने के तकाज़े हैं
Dr fauzia Naseem shad
शिक्षक
शिक्षक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*कमबख़्त इश्क़*
*कमबख़्त इश्क़*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
#drarunkumarshastri
#drarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
जंग के भरे मैदानों में शमशीर बदलती देखी हैं
Ajad Mandori
क्या बचा  है अब बदहवास जिंदगी के लिए
क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मज़बूत होने में
मज़बूत होने में
Ranjeet kumar patre
*नंगा चालीसा* #रमेशराज
*नंगा चालीसा* #रमेशराज
कवि रमेशराज
बुद्ध फिर मुस्कुराए / मुसाफ़िर बैठा
बुद्ध फिर मुस्कुराए / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
"मयकश"
Dr. Kishan tandon kranti
स्मृतियाँ  है प्रकाशित हमारे निलय में,
स्मृतियाँ है प्रकाशित हमारे निलय में,
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
★भारतीय किसान ★
★भारतीय किसान ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
कि  इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
कि इतनी भीड़ है कि मैं बहुत अकेली हूं ,
Mamta Rawat
एक प्यार का नगमा
एक प्यार का नगमा
Basant Bhagawan Roy
कत्ल खुलेआम
कत्ल खुलेआम
Diwakar Mahto
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
कैसा गीत लिखूं
कैसा गीत लिखूं
नवीन जोशी 'नवल'
तुम न आये मगर..
तुम न आये मगर..
लक्ष्मी सिंह
दृष्टिबाधित भले हूँ
दृष्टिबाधित भले हूँ
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
मुझ जैसा रावण बनना भी संभव कहां ?
Mamta Singh Devaa
"मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्‍छा है,
शेखर सिंह
होके रुकसत कहा जाओगे
होके रुकसत कहा जाओगे
Awneesh kumar
ध्यान-उपवास-साधना, स्व अवलोकन कार्य।
ध्यान-उपवास-साधना, स्व अवलोकन कार्य।
डॉ.सीमा अग्रवाल
पता पुष्प का दे रहे,
पता पुष्प का दे रहे,
sushil sarna
Loading...