खिलते प्रसून (काव्य संग्रह)
भारती दास
"जहां कबीर रहीम के दोहे, सिखलाते हैं प्रेम की आखर, जहां बुद्ध की सुंदर वाणी, कर देते हैं सत्य उजागर, जहां गुरु नारायण होते, राम कृष्ण लेते अवतार, जहां मित्र के हाल पर रोते, करूणाकर के नेत्र बेजार।" -इसी संग्रह...