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1 Feb 2022 · 1 min read

वो बेटी है

जीवन में भरती नव-नव मोद
खेलती-कूदती करती विनोद
जो मनुहार में जीती है
वो बेटी है…..
जो रुद्ध कंठ से रोती है
झकझोर ह्रदय को करती है
जो पलकों पर सावन रखती है
वो बेटी है……
पल-पल विकलित क्षण-क्षण विचलित
शिशु सौरभ सा स्मित पुलकित
जो शशि छूने को मचलती है
वो बेटी है……
कोमल-कोमल अंग-राग
अरुण नयन में भरे अनुराग
जो दीपशिखा सी जलती है
वो बेटी है…..
सुख में दुःख में अंधकार में
वाणी से शोभित संस्कार में
जो प्रेम की धारा बहाती है
वो बेटी है ….
भारती दास ✍️

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 386 Views
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