देवी वंदना
तुझे नमन करने को आते
जग के सारे भक्त-प्रवर
मुझ जैसे मलीन जड़बुद्धि
रहते खड़े ठगे से अक्सर,
तुझे नमन….
दुविधा में ही जीती आई
ज्योति किरण दिखाना माँ
घिरा है द्वन्द का ताना-बाना
मुझको राह दिखाना माँ
कुछ भी समझ नहीं आता है
जाऊँ कब किस ओर किधर,
मुझ जैसा….
दुनिया के तुम पीड़ा हरती
वेदना मेरी मिटाना माँ
पूजा का पलपल सुखमय हो
अपना हाथ बढ़ाना माँ
दोष रोष सब माफ़ करो तुम
लो ममता से हाथ पकड़,
मुझ जैसा….
कैसे करूँ प्रार्थना तेरी
क्या मांगू तुझसे वरदान
अंतर्यामी होकर फिर क्यों
माँ बनती हो तुम अनजान
नयन मूंदकर क्यों बैठी हो
डालो मुझपर एक नजर,
मुझ जैसा…..
मेरे बिगड़े काम बना दो
रोशन कर दो मेरा अंतर
मेरी भक्ति बनी रहे माँ
दिव्य चेतना दे दो भर-कर
मानवता की लाज बचा लो
तेरी महिमा अजर अमर,
मुझ जैसा…..
भारती दास ✍️