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4 May 2024 · 1 min read

सच्चाई है कि ऐसे भी मंज़र मिले मुझे

सच्चाई है कि ऐसे भी मंज़र मिले मुझे
जब प्यास मिट गई तो समुंदर मिले मुझे

हाथों को जिनके चूमा हैं अपना जिसे कहा
इक दिन उन्हीं के हाथों में ख़ंजर मिले मुझे

ठोकर के डर से उनको हटाता चला गया
सबको लगा कि क़ीमती पत्थर मिले मुझे

पिछली दफ़ा में पल में ही नाकाम हो गए
फिर इस दफ़ा में सैकड़ों लश्कर मिले मुझे
~अंसार एटवी

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