Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2017 · 3 min read

डॉ. अम्बेडकर ने ऐसे लड़ा प्रथम चुनाव

डॉ. अम्बेडकर ‘हिन्दू कोड बिल’ को सन् 1952 के सामान्य चुनाव होने से पहले ही संसद में पारित कराने को बेताब थे। जब उनकी इस इच्छा की पूर्ति में कांग्रेस अवरोध खड़े करने लगी तो 27 सितम्बर 1951 को उन्होंने अपना स्तीफा प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को यह कहते हुये सौंप दिया कि ‘‘संविधान पारित हुए एक वर्ष से अधिक समय हो गया है मगर पिछड़ी व दलित जातियों के हितों की रक्षा हेतु एक आयोग गठित करने की बात तो दूर, सरकार इस मसले पर तनिक भी गम्भीर नहीं है।’’
स्तीफा देने के बाद अम्बेडकर कांग्रेस से तो अलग हो गये किन्तु वे आगामी आम चुनाव को कैसे लड़ें, जिससे कांग्रेस का एक राष्ट्रव्यापी विकल्प बन सके, इस समस्या को लेकर वे चिन्तित हो उठे। उनकी चिन्ता का मुख्य कारण यह था कि उनके साम्यवादियों से तो मूलभूत मतभेद थे ही, वे हिन्दू सभा से भी समझौता कर कोई चुनावी गठबंधन नहीं करना चाहते थे। इसके साथ ही भले ही वे मुस्लिम लींग के सहयोग से महाराष्ट्र विधान सभा में नियुक्त हुये थे किन्तु वे अब मुस्लिम लींग से मिलकर भी चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। अतः डॉ. अम्बेडकर को चुनावी गठबन्धन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर एक ही पार्टी नजर आयी-वह थी जय प्रकाश नारायण की समाजवादी पार्टी।
7 नवम्बर 1951 को डॉ. अम्बेडकर पटना पहुँचे और पूर्व नियोजित कार्य क्रमानुसार जय प्रकाश नारायण से भेंट की। चुनावी गठबन्धन पर विचार-विमर्श के दौरान यह निष्कर्ष निकाला गया कि चूंकि डॉ. अम्बेडकर के राजनीतिक दल ‘अनुसूचित जाति संघ और झारखंड के राजनीतिक दल सोशलिस्ट पार्टी के कार्यक्रम लगभग समान हैं, इसलिए दोनों पार्टियों में समझौता होना हर प्रकार हितकर होगा। अतः अक्टूबर 1951 में अखिल भारतीय अनुसूचित जाति की सभा की कार्यकारिणी में पारित चुनाव घोषणा पत्र को ही साझा चुनाव घोषणा-पत्र बनाकर प्रस्तुत किया गया। इस घोषणा-पत्र में कहा गया था-‘‘सभी भारतीयों की समानता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ संघर्ष करेगा। स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे को बढ़ावा देगा। मनुष्य से मनुष्य, वर्ग से वर्ग के बीच व राष्ट्र में जो उत्पीड़न और शोषण व्याप्त है, उसके खात्मे के लिए लड़ाई लड़ी जायेगी।’’
इस घोषणा पत्र के साथ डॉक्टर अम्बेडकर, जयप्रकाश नारायण, अशोक मेहता, जयपाल सिंह जैसे कई नेताओं ने साझा रणनीति के अन्तर्गत तीव्र गति से चुनावी दौरे किये। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जहाँ अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ और सोशलिस्ट पार्टी के इस गठबंधन को अपनी चुनावी सभाओं में ‘अपवित्र गठबंधन’ कहा, वहीं डॉ. अम्बेडकर, जयप्रकाश नारायण, अशोक मेहता ने सशक्त विपक्ष की आवश्यकता पर बल देते हुए लोगों से कांग्रेस को चुनाव के लिए चन्दा न देने की अपील की।
जनवरी सन् 1952 के राज्य विधान सभा व संसद के चुनाव में डॉ. अम्बेडकर उत्तरी बम्बई की सुरक्षित सीट से चुनाव में खड़े हुये किन्तु जनता ने अनुसूचित जाति संघ व सोशलिस्ट पार्टी के गठबंधन को भारी पराजय के मुँह में धकेल दिया। डॉ. अम्बेडकर एक चुनावी प्रत्याशी काजरोल्कर के मुकाबले पराजित हो गये।
इस पराजय के उपरांत मार्च 1952 माह के मध्य स्टेट कौंसिल बम्बई की आबंटित सत्तरह सीटों में से एक सीट पर डॉ. अम्बेडकर ने पुनः पर्चा भरा और वह इसी माह के अन्त में वहाँ से निर्वाचित घोषित हुए।
—————————————————–
15/109, ईसा नगर, अलीगढ़

Language: Hindi
Tag: लेख
299 Views

You may also like these posts

मंथन
मंथन
Mukund Patil
सावित्री और सत्यवान
सावित्री और सत्यवान
Meera Thakur
किताब-ए-जीस्त के पन्ने
किताब-ए-जीस्त के पन्ने
Neelam Sharma
पंचयति
पंचयति
श्रीहर्ष आचार्य
कौन सताए
कौन सताए
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
G
G
*प्रणय*
जब जिन्दगी की राहो में
जब जिन्दगी की राहो में
कार्तिक नितिन शर्मा
सच तो तस्वीर,
सच तो तस्वीर,
Neeraj Agarwal
4274.💐 *पूर्णिका* 💐
4274.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*टैगोर काव्य गोष्ठी/ संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ*
*टैगोर काव्य गोष्ठी/ संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ*
Ravi Prakash
खत पढ़कर तू अपने वतन का
खत पढ़कर तू अपने वतन का
gurudeenverma198
पर्वत के जैसी हो गई है पीर  आदमी की
पर्वत के जैसी हो गई है पीर आदमी की
Manju sagar
My Loving book
My Loving book
Dr. Vaishali Verma
मैंने देखा नहीं रंगों से जुदा करके उसे ,
मैंने देखा नहीं रंगों से जुदा करके उसे ,
P S Dhami
मुझको नया भरम दे , नया साल दर पे हैं
मुझको नया भरम दे , नया साल दर पे हैं
पूर्वार्थ
जानते वो भी हैं...!!!
जानते वो भी हैं...!!!
Kanchan Khanna
संस्कार संस्कृति सभ्यता
संस्कार संस्कृति सभ्यता
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
*****खुद का परिचय *****
*****खुद का परिचय *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
आओ छंद लिखे (चौपाई)
आओ छंद लिखे (चौपाई)
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
'माँ'
'माँ'
Godambari Negi
उर्मिल
उर्मिल
Rambali Mishra
बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
बेवजह मुझसे फिर ख़फ़ा क्यों है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
रिश्तों की सिलाई अगर भावनाओ से हुई हो
रिश्तों की सिलाई अगर भावनाओ से हुई हो
शेखर सिंह
जहर    ना   इतना  घोलिए
जहर ना इतना घोलिए
Paras Nath Jha
"सत्य"
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
दादी और बचपन
दादी और बचपन
Savitri Dhayal
Shiri Ganesh vandna..
Shiri Ganesh vandna..
Sartaj sikander
इश्क़ का ख़याल
इश्क़ का ख़याल
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
महिला हमारी जननी , महिला हमारी पूरक
महिला हमारी जननी , महिला हमारी पूरक
Girija Arora
छात्रों का विरोध स्वर
छात्रों का विरोध स्वर
Rj Anand Prajapati
Loading...