Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2024 · 1 min read

*चलती जाती रेल है, इसके सिर्फ पड़ाव (कुंडलिया)*

चलती जाती रेल है, इसके सिर्फ पड़ाव (कुंडलिया)
_________________________
चलती जाती रेल है, इसके सिर्फ पड़ाव
रोज उतरते-चढ़ रहे, यात्री रखते चाव
यात्री रखते चाव, सभी के मन को भाती
समझा केवल काल, न आती है यह जाती
कहते रवि कविराय, आयु सब ही की ढलती
बचपन में थी रेल, बुढ़ापे में भी चलती
_________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

24 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

"यह कैसा नशा?"
Dr. Kishan tandon kranti
*🌸बाजार *🌸
*🌸बाजार *🌸
Mahima shukla
*अब मान भी जाओ*
*अब मान भी जाओ*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
आरोप प्रत्यारोप
आरोप प्रत्यारोप
Chitra Bisht
हाल हुआ बेहाल परिदे..!
हाल हुआ बेहाल परिदे..!
पंकज परिंदा
जय महादेव
जय महादेव
Shaily
धीरज धरो तुम
धीरज धरो तुम
Roopali Sharma
✨बादलों की साजिशों में, चांद-तारों का इम्तिहान है।✨
✨बादलों की साजिशों में, चांद-तारों का इम्तिहान है।✨
Priya princess panwar
चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
चलिए देखेंगे सपने समय देखकर
दीपक झा रुद्रा
मुहब्बत गीत  गाती है करिश्मा आपका है ये
मुहब्बत गीत गाती है करिश्मा आपका है ये
Dr Archana Gupta
विचार श्रृंखला
विचार श्रृंखला
Shyam Sundar Subramanian
My Loving book
My Loving book
Dr. Vaishali Verma
#कविता:–
#कविता:–
*प्रणय*
वो दिन कभी ना आएगा
वो दिन कभी ना आएगा
प्रदीप कुमार गुप्ता
3316.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3316.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
खुशनसीब
खुशनसीब
Bodhisatva kastooriya
फूल भी हम सबको जीवन देते हैं।
फूल भी हम सबको जीवन देते हैं।
Neeraj Agarwal
*नई राह पर नए कदम, लेकर चलने की चाह हो (हिंदी गजल)*
*नई राह पर नए कदम, लेकर चलने की चाह हो (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
दीवाना मौसम हुआ,ख्वाब हुए गुलजार ।
दीवाना मौसम हुआ,ख्वाब हुए गुलजार ।
sushil sarna
नदी किनारे
नदी किनारे
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
कहो कैसे हम तुमसे, मोहब्बत करें
कहो कैसे हम तुमसे, मोहब्बत करें
gurudeenverma198
कभी किसी की किसी से खूब बनती है,
कभी किसी की किसी से खूब बनती है,
Ajit Kumar "Karn"
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
हैरान था सारे सफ़र में मैं, देख कर एक सा ही मंज़र,
पूर्वार्थ
जीना यदि चाहते हो...
जीना यदि चाहते हो...
आकाश महेशपुरी
शुभ प्रभात
शुभ प्रभात
Rambali Mishra
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
Rj Anand Prajapati
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -194 के श्रेष्ठ दोहे (बिषय-चीपा)
बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -194 के श्रेष्ठ दोहे (बिषय-चीपा)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयेगा कोई
आयेगा कोई
Dr. Bharati Varma Bourai
ख़त्म अपना
ख़त्म अपना
Dr fauzia Naseem shad
कर्ण का शौर्य
कर्ण का शौर्य
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
Loading...