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1 Sep 2024 · 1 min read

पता नहीं किसी को कैसी चेतना कब आ जाए,

पता नहीं किसी को कैसी चेतना कब आ जाए,
किसी से किस दिशा में कौन सा काम करवाए,
परिस्थितिवश होती है सबकी अपनी ही समझ…
सकारात्मकता संग नकारात्मक सोच भी ये लाए,
इंसान काफ़ी सोच-समझकर ही कोई कदम बढ़ाए।

…. अजित कर्ण ✍️

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