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30 Jun 2024 · 1 min read

वक्त के संग हो बदलाव जरूरी तो नहीं।

वक्त के संग हो बदलाव जरूरी तो नहीं।
वक्त भर देगा हर एक घाव जरूरी तो नहीं।

तमाम उम्र तपिश में ही गुजर सकती है।
बुझेगा वक्त का अलाव जरूरी तो नहीं।

शज़र घना है बहुत और खूब फैला है।
सुकून देगी उसकी छांव जरूरी तो नहीं।

शहर को कोसते हो खूब शहर में रहकर।
गांव में रहके मिले गांव जरूरी तो नहीं।

मांग लें माफियां इल्जाम सभी सर ले लें।
दूर हो जाए पर दुराव जरूरी तो नहीं।

ताज पहने हुए देखा है लकड़बग्घों को।
लोग वाजिब करें चुनाव जरूरी तो नहीं।

पहन लो खूब तुम ताबीज़ भाई चारे की।
छोड़ दे सामने वाला भी अपने दांव जरूरी तो नहीं।

सूखी बछिया का दान करते हरा बटुआ रख।
बनेगी वह तुम्हारी नाव जरूरी तो नहीं।

लड़ाई जीती नहीं जाती बिन पियादों के।
बनेगा हर कोई ही राव जरूरी तो नहीं।

जिसकी आंखों में सोई झील तुम्हे दिखती है।
उसके दिल में भी हो ठहराव जरूरी तो नहीं।

आज जो मिल रहा है सोच के ठुकराओ “नज़र”।
बढ़ेगा कल तुम्हारा भाव जरूरी तो नहीं।
Kumar kalhans

Language: Hindi
143 Views
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