*गौरैया तुम प्यारी हो*

गौरैया तुम प्यारी हो
गौरैया तुम प्यारी हो, लगती सबसे न्यारी हो।
दिखती अब पहले से कम हो, शायद कष्ट में भारी हो।
लालचवश छीन गया आसरा, बन गईं तुम बेचारी हो।
विमुख हुआ मानव कर्तव्य से, फिर भी तुम न हारी हो।
गौरैया तुम प्यारी हो, लगती सबसे न्यारी हो।।१।।
सुन्दर सा यह छोटा पक्षी, आज मारा-मारा फिरता है।
कर्तव्य पथ से हटकर मानव, गिरता और फिसलता है।
संरक्षण है जिम्मेदारी, दिखती इसमें विफलता है।
जिम्मेदार हैं हम सब इसके, जो संकट में भारी हो।
गौरैया तुम प्यारी हो, लगती सबसे न्यारी हो।।२।।
गौरैया है घरों की शान, रूठ रहा है यह मेहमान।
दुष्यन्त कुमार की लो यह मान, देना होगा इस पर ध्यान।
दाना-पानी इनको देना, प्रकृति का हो सम्मान।
वृक्ष लगाकर पालो इनको, धरा की तुम फुलवारी हो।
गौरैया तुम प्यारी हो, लगती सबसे न्यारी हो।।३।।