Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2022 · 2 min read

अस्तु

मृत्यु का समाचार
मिलने के बाद
निवास पर
इक्कठे हुए लोगों की
रोने की आवाजें
कुछ ही देर मे बंद हो जाएंगी
अंतिम यात्रा के लिए
घर से निकलते ही
महिलाएं साफ-सफाई
और खाना मंगवाने के
इंतजाम मे लग जाएंगी
शव यात्रा शमशान पहुंचे ही
कुछ लोग चाय नाश्ते के लिए
निकल जाएंगे
इधर आपका मृत शरीर
चिता पर जल रहा होगा
उधर शव यात्रा मे शामिल लोग
विभिन्न विषयों
पर चर्चा शुरू करेगें
कोई फोन पर बतिया रहा होगा
सोशल मीडिया चैटिंग एप
दूर झुंड बनाकर बैठे
लोगों के मध्य धड़ल्ले से
चल रह होगा
उसी दिन रात के खाने के बाद
ज्यादातर लोग
ये कह के कि रूका नही जाता
निकल लेंगे
ये आपके प्रिय रिश्तेदार होंगे
जिनके लिए आपने जी-जान से
रिश्तेदारी निभाने मे
कोई कसर नही छोड़ी
बेटे, बेटी, बहू, जीवन साथी
के फोन पर कई काल आएंगी
आपके गुणगान मे
कसीदे काढ़े जाएंगे
शव यात्रा मे शामिल न हो सका
अफसोस जताया जाएगा
उधर आपके प्रतिष्ठान, कार्यालय मे
किसे बिठाया जाए
खोज शुरू होगी
त्रयोदशी संस्कार के बाद
आपके प्रियजन
जिन्हे खून पसीने से
सींच कर लायक बनाया
पैरों पे खड़ा किया
विरासत का बंटवारा कर
अपने काम पे निकल जायेंगे
महीने के अंत तक
सब कुछ सामान्य हो जाएगा
जैसे आप कभी रहे ही नही
अत्यंत प्रिय कुछ दिनो तक
याद कर बातें करेंगे
आश्चर्यजनक गति से
आपको भुला दिया जाएगा
प्रथम वर्ष पुण्य तिथि का
सबकी सहमति बनी तो
आयोजन हो जाएगा
पलक झपकते ही
दिन, महीने साल
बीतते चले जाएंगे
किसी को फुर्सत नही होगी
आपके बारे मे बात करे
बस पुरानी तस्वीर देख कर
बेहद करीबी आपको
याद कर लेगा
अपने लिए कभी नही सोंचा
घर परिवार रिश्तेदारो को
संतुष्ट करने मे जीवन लगा दिया
इस खुदगर्ज समयाभाव मे जीते
समाज के पास
कतई टाइम नही होगा
कि कोई आपको याद करे
अस्तु
जीवन के चौथे चरण मे
मोह के बंधन से मुक्त होकर
अपने शौक, इच्छाएं पूरी करें
जरूरतों का सामान इक्ट्ठा करें
तीर्थ देशाटन कर नये रोमांच
का आनन्द उठायें
ये वो पल होंगे
जिन्हे जिम्मेवारी के चलते
अभी तक आप पा न सके
इस तरह जीवन पूरा कर
हंसी खुशी मौत को
गले लगायें
जो यथार्थ है
शास्वत है

मौलिक
स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल
प्रकाशित

Language: Hindi
1 Like · 4 Comments · 213 Views
Books from Ashwani Kumar Jaiswal
View all

You may also like these posts

सच का सच
सच का सच
डॉ० रोहित कौशिक
2906.*पूर्णिका*
2906.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
মা মনসার গান
মা মনসার গান
Arghyadeep Chakraborty
वह दिन जरूर आयेगा
वह दिन जरूर आयेगा
Pratibha Pandey
शाम के ढलते
शाम के ढलते
manjula chauhan
सनातन की रक्षा
सनातन की रक्षा
Mahesh Ojha
श्याम की महिमा भजन अरविंद भारद्वाज
श्याम की महिमा भजन अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
मेरा हर राज़ खोल सकता है
मेरा हर राज़ खोल सकता है
Shweta Soni
रंग जिन्दगी का
रंग जिन्दगी का
Ashwini sharma
रास्ते  की  ठोकरों  को  मील   का  पत्थर     बनाता    चल
रास्ते की ठोकरों को मील का पत्थर बनाता चल
पूर्वार्थ
सोना बन..., रे आलू..!
सोना बन..., रे आलू..!
पंकज परिंदा
मानवता का शत्रु आतंकवाद हैं
मानवता का शत्रु आतंकवाद हैं
Raju Gajbhiye
गुनाह मेरा था ही कहाँ
गुनाह मेरा था ही कहाँ
Chaahat
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
महामोदकारी छंद (क्रीड़ाचक्र छंद ) (18 वर्ण)
Subhash Singhai
सेल्फिश ब्लॉक
सेल्फिश ब्लॉक
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
गर हो जाते कभी किसी घटना के शिकार,
गर हो जाते कभी किसी घटना के शिकार,
Ajit Kumar "Karn"
*पछतावा*
*पछतावा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गले लगाया कर
गले लगाया कर
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
ये खुदा अगर तेरे कलम की स्याही खत्म हो गई है तो मेरा खून लेल
Ranjeet kumar patre
नाचेगा चढ़ शीश पर, हर ओछा इंसान
नाचेगा चढ़ शीश पर, हर ओछा इंसान
RAMESH SHARMA
कोरोना चालीसा
कोरोना चालीसा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
नरभक्षी एवं उसका माँ-प्यार
नरभक्षी एवं उसका माँ-प्यार
Dr MusafiR BaithA
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ये गजल बेदर्द,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ये गजल बेदर्द,
Sahil Ahmad
संकल्प
संकल्प
Davina Amar Thakral
बुंदेली दोहे- ततइया (बर्र)
बुंदेली दोहे- ततइया (बर्र)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
होरी खेलन आयेनहीं नन्दलाल
होरी खेलन आयेनहीं नन्दलाल
Bodhisatva kastooriya
इत्र   जैसा  बहुत  महकता  है ,
इत्र जैसा बहुत महकता है ,
Neelofar Khan
" मंजिल "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...