Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Feb 2024 · 1 min read

तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा।

तेरे उल्फत की नदी पर मैंने यूंँ साहिल रखा।
सिर्फ़ तेरे वास्ते तैयार अपना दिल रखा।

एक कवि वैराग्य को ऐसे दिखाया है यहांँ।
इश्क़ की बुनियाद पर आपको मंज़िल रखा।

मुझको जो होना था तेरे वास्ते मैं हो गया…
तुमने मेरे राह को बस बेवजह मुश्किल रखा।

मैं यहांँ शरीयत से लड़कर पैरवी करता रहा….
उसने मुझको दी तख़ल्लुस नाम फिर ज़ालिम रखा।

तुम तुम्हारी आंँख की गुस्ताखियांँ जारी रखो…
हमने आंँखों को यहांँ अंँधेरों के काबिल रखा।

फिर यहांँ बस ईश्क पर तक़रीर देने आ गया।
और अपने लफ़्ज़ में बस तुमको ही शामिल रखा।

देखकर मैं हूंँ दंग इक शख़्स पर कारीगरी
रब ने जिससे जोड़कर मुझको यूंँ कामिल रखा।

दीपक झा रुद्रा

86 Views

You may also like these posts

मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
मुझसे नाराज़ कभी तू , होना नहीं
gurudeenverma198
#एक युद्ध : भाषाप्रदूषण के विरुद्ध
#एक युद्ध : भाषाप्रदूषण के विरुद्ध
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
dr arun kumar shastri
dr arun kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कोई  नहीं होता इस दुनिया में किसी का,
कोई नहीं होता इस दुनिया में किसी का,
Ajit Kumar "Karn"
*जाने कितने साल से, नए-पुराने साल (कुंडलिया)*
*जाने कितने साल से, नए-पुराने साल (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जब हम अपनी आंतरिक शक्ति बढ़ाकर अपनी कमजोरियों को प्रबंधित कर
जब हम अपनी आंतरिक शक्ति बढ़ाकर अपनी कमजोरियों को प्रबंधित कर
ललकार भारद्वाज
समय आता है
समय आता है
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
🙅चलो रायबरेली🙅
🙅चलो रायबरेली🙅
*प्रणय*
जुदाई।
जुदाई।
Priya princess panwar
विचार
विचार
Godambari Negi
* पहेली *
* पहेली *
surenderpal vaidya
सितारा कोई
सितारा कोई
shahab uddin shah kannauji
देसी घी से टपकते
देसी घी से टपकते
Seema gupta,Alwar
“ख़्वाहिशों का क़ाफ़िला  गुजरता अनेक गलियों से ,
“ख़्वाहिशों का क़ाफ़िला गुजरता अनेक गलियों से ,
Neeraj kumar Soni
मुझको मेरी लत लगी है!!!
मुझको मेरी लत लगी है!!!
सिद्धार्थ गोरखपुरी
1. Life
1. Life
Ahtesham Ahmad
Extra people
Extra people
पूर्वार्थ
खिड़की पर बैठा मृदु हृदय, बाहर के शोर को भांप रहा,
खिड़की पर बैठा मृदु हृदय, बाहर के शोर को भांप रहा,
Manisha Manjari
उन पुरानी किताबों में
उन पुरानी किताबों में
Otteri Selvakumar
जो दुआएं
जो दुआएं
Dr fauzia Naseem shad
मरूधरां
मरूधरां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
उठे ली सात बजे अईठे ली ढेर
नूरफातिमा खातून नूरी
संकोची हर जीत का,
संकोची हर जीत का,
sushil sarna
जीवन रश्मि
जीवन रश्मि
Neha
स = संगीत
स = संगीत
शिव प्रताप लोधी
4600.*पूर्णिका*
4600.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
We are sky birds
We are sky birds
VINOD CHAUHAN
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
यदि चाहो मधुरस रिश्तों में
संजीव शुक्ल 'सचिन'
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
ग़ज़ल _जान है पहचान है ये, देश ही अभिमान है ।
Neelofar Khan
कोई कैसे ही कह दे की आजा़द हूं मैं,
कोई कैसे ही कह दे की आजा़द हूं मैं,
manjula chauhan
Loading...