Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jun 2024 · 1 min read

कुछ बच्चों के परीक्षा परिणाम आने वाले है

कुछ बच्चों के परीक्षा परिणाम आने वाले है
ज़ाहिर है वो दिल ही दिल में घबराए हुए है,
कहीं फेल न हो जाए ,कहीं सत्ता छीन जाने का भय है ,
परीक्षक ( मतदाता ) के फेंसलों ने सबके होश गंवाए हुए हैं ।

1 Like · 105 Views
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all

You may also like these posts

उलझो न
उलझो न
sheema anmol
तुम्हारी फ़िक्र सच्ची हो...
तुम्हारी फ़िक्र सच्ची हो...
आर.एस. 'प्रीतम'
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
दिल एक उम्मीद
दिल एक उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
अब तो मिलने में भी गले - एक डर सा लगता है
अब तो मिलने में भी गले - एक डर सा लगता है
Atul "Krishn"
पीड़ाओं के संदर्भ
पीड़ाओं के संदर्भ
दीपक झा रुद्रा
जग की तारणहारी
जग की तारणहारी
Vibha Jain
गीली लकड़ी की तरह सुलगती रही ......
गीली लकड़ी की तरह सुलगती रही ......
sushil sarna
वफा
वफा
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
Mountain
Mountain
Neeraj Agarwal
जिन्दगांणी
जिन्दगांणी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ सब कहते हैं।
बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ सब कहते हैं।
राज वीर शर्मा
सरसी छंद
सरसी छंद
seema sharma
Labour day
Labour day
अंजनीत निज्जर
मंगलमय शुभ वर्ष ...
मंगलमय शुभ वर्ष ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
बेटी
बेटी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
आप मुझे महफूज
आप मुझे महफूज
RAMESH SHARMA
दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस
दो रुपए की चीज के लेते हैं हम बीस
महेश चन्द्र त्रिपाठी
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे
आपके लबों पे मुस्कान यूं बरकरार रहे
Keshav kishor Kumar
घर की चौखट से
घर की चौखट से
इशरत हिदायत ख़ान
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
कान्हा तेरी नगरी, आए पुजारी तेरे
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"नन्हे" ने इक पौधा लाया,
Priya Maithil
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
"आशिकी में"
Dr. Kishan tandon kranti
अयोध्या धाम पावन प्रिय, जगत में श्रेष्ठ न्यारा है (हिंदी गजल
अयोध्या धाम पावन प्रिय, जगत में श्रेष्ठ न्यारा है (हिंदी गजल
Ravi Prakash
जिंदगी की राहे बड़ा मुश्किल है
जिंदगी की राहे बड़ा मुश्किल है
Ranjeet kumar patre
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
रिश्तों से अब स्वार्थ की गंध आने लगी है
Bhupendra Rawat
3558.💐 *पूर्णिका* 💐
3558.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
गंगा अवतरण
गंगा अवतरण
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सेवानिवृत्ति
सेवानिवृत्ति
Khajan Singh Nain
Loading...