Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Nov 2024 · 1 min read

पदावली

भाव पदावली

सृजन पंक्ति- नाम लिखी कोरे कागज के पन्ने पर

नाम लिखी कोरे कागज के पन्ने पर।
सजनी ने पाती अपने प्रिय साजन को,
आँसू नयनों में पत्थर रख छाती पर।।

चिट्ठी लिखती सजना कब घर आओगे,
वादा करके मुझ से बैठे सीमा पर।
मुरझाए है मन हरदम रहता बेकल,
राहें देखूं तेरी नयन लगे द्वारे पर ।।

बिरहन सा जीवन कैसे बीते रजनी,
तनमन भी तरसा सावन की आवन पर।
नैना बरसें निशदिन ज्यूँ बरखा बरसे,
मेहंदी भी ना भाती अब हाथों पर।

सीमा शर्मा ‘अंशु’

36 Views

You may also like these posts

शब्द
शब्द
Mahesh Jain 'Jyoti'
एक दीप हर रोज जले....!
एक दीप हर रोज जले....!
VEDANTA PATEL
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा
Raju Gajbhiye
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
वो तारीख़ बता मुझे जो मुकर्रर हुई थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
The Rotting Carcass
The Rotting Carcass
Chitra Bisht
छोटी कहानी -
छोटी कहानी - "पानी और आसमान"
Dr Tabassum Jahan
" तलब "
Dr. Kishan tandon kranti
To my old self,
To my old self,
पूर्वार्थ
मोहब्बत
मोहब्बत
Shriyansh Gupta
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
बाल कविता: बंदर मामा चले सिनेमा
Rajesh Kumar Arjun
आधुनिक दान कर्म
आधुनिक दान कर्म
मधुसूदन गौतम
संभावना है जीवन, संभावना बड़ी है
संभावना है जीवन, संभावना बड़ी है
Suryakant Dwivedi
वो  हक़ीक़त  पसंद  होती  है ।
वो हक़ीक़त पसंद होती है ।
Dr fauzia Naseem shad
शांति का पढ़ाया पाठ,
शांति का पढ़ाया पाठ,
Ranjeet kumar patre
जीवन
जीवन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
"" *हाय रे....* *गर्मी* ""
सुनीलानंद महंत
ठोकरें खाये हैं जितना
ठोकरें खाये हैं जितना
Mahesh Tiwari 'Ayan'
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
Dr. Narendra Valmiki
व्यर्थ है मेरे वो सारे श्रृंगार,
व्यर्थ है मेरे वो सारे श्रृंगार,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
*परिमल पंचपदी--- नवीन विधा*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-158के चयनित दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं साधना उसकी करूं, जो साधता संसार है,
मैं साधना उसकी करूं, जो साधता संसार है,
Anamika Tiwari 'annpurna '
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
नवचेतना
नवचेतना
संजीवनी गुप्ता
सत्य से सबका परिचय कराएं, आओ कुछ ऐसा करें
सत्य से सबका परिचय कराएं, आओ कुछ ऐसा करें
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
The Natural Thoughts
The Natural Thoughts
Buddha Prakash
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
बंदूक से अत्यंत ज़्यादा विचार घातक होते हैं,
शेखर सिंह
" दफ्तरी परिवेश का मीठ्ठा व्यंग्य "
Dr Meenu Poonia
#हंड्रेड_परसेंट_गारंटी
#हंड्रेड_परसेंट_गारंटी
*प्रणय*
तू मेरे इश्क की किताब का पहला पन्ना
तू मेरे इश्क की किताब का पहला पन्ना
Shweta Soni
Loading...