कांटों पर रहते हुए भी सिफ़त जुदा है ,

कांटों पर रहते हुए भी सिफ़त जुदा है ,
कहने को है गुलाब मगर दरजा बड़ा है ,
खिलने से मोअत्तर हुआ जाता है जहाँ ,
दुनिया को खुशी देने को ‘नील, ये मिटा है ।
✍️नील रूहानी
कांटों पर रहते हुए भी सिफ़त जुदा है ,
कहने को है गुलाब मगर दरजा बड़ा है ,
खिलने से मोअत्तर हुआ जाता है जहाँ ,
दुनिया को खुशी देने को ‘नील, ये मिटा है ।
✍️नील रूहानी