कुछ बात
कुछ तो बात रही होगी,
तेरी और मेरी चाहत में ।।
ना तुने मुझको देखा था,
ना मैंने तुझको देखा था ।।
ना तो बात करी थी तुने,
ना मैंने ही सोचा था ।।
मिले विचार हमारे कैसे,
हम तुम सोच नहीं सकते ।।
खुली किताब दिलो की कैसे,
यह भी खोज नही सकते ।।
दर्द मिले हम दोनो के,
हमदर्द ही हम तो बन बैठे ।।
बात हुई थी यूँही जानो,
हमराज भी हम तो बन बैठे ।।