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17 Dec 2025 · 1 min read

हर सुबह कोई खुद को झुठलाने

हर सुबह कोई खुद को झुठलाने
चल देगा घर से दूर कहीं,
एक डाकिया महज़ चाहिए
जो मुझको सच बतला सके।

~ राजीव दत्ता ‘ घुमंतू ‘

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