हर सुबह कोई खुद को झुठलाने
हर सुबह कोई खुद को झुठलाने
चल देगा घर से दूर कहीं,
एक डाकिया महज़ चाहिए
जो मुझको सच बतला सके।
~ राजीव दत्ता ‘ घुमंतू ‘
हर सुबह कोई खुद को झुठलाने
चल देगा घर से दूर कहीं,
एक डाकिया महज़ चाहिए
जो मुझको सच बतला सके।
~ राजीव दत्ता ‘ घुमंतू ‘