Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Apr 2025 · 6 min read

सुखाएल नेनुआ

सुखाएल नेनुआ
~~°~~°~~°
मैथिली कथा

जुआएल सुखाएल नेनुआ गाछ पर लटकल
पाकि गेला क बाद
ओकर गुद्दा जालीदार भऽ जाईत अछि।
आब त’ ई सुखाएल नेनुआ के
गाम घरक लोक
दूईएटा प्रयोग करैत छथि
या त’ ठंढ में
पाएरक एड़ी घसबाक काम करब
अथवा भनसाघर में
बरतन बासन मजबाक काज करैत अछि।
ओना त आई काल्हि
सुखाएल नेनुआ क जाली अमेजाॅन पर
नेचुरल लूफा क नाम स सेहो बिकाईत अछि।
हम जे नेनुआ क बात करैत छी , _
से हमर मकान मालिक क तीनमंजिला
मकान क’ दक्खिन दिस खाली जमीन पर
पैघ नीमक गाछ पर
लतरल फलल रहैत छल।
समयचक्र में कोंढ़ी, फूल, फुल्ली, नेनुआ
आओर अन्त में सुखाएल लूफा क रुप
सेहो क्रम से समय क’अन्तराल में देखलहुं।
जब हम ओतेक ऊंचाई में
गाछ पर नेनुआ क’ फरैत देखलहुं
त’ सोचलहुं
जे अनेरुआ बीया सब उइड़ क’
आएल होयत त गाछिक लगाँ उइग क’
कालक्रम में गाछ पर चढ़ि क’
लतैर गेल होयत आ झड़ी क मौसम में
सिंचित वा तृप्त भेलाक बाद
लुधैक-लुधैक के फड़ल होयत।
फेरि चैतक महीना आयल त’ बहुत रास
गाढ़ सुवर्ण रंगक नेनुआ सुखायल लटकल
गाछक शाखा पकड़िने हवा में झुलैत
जेना कहैत होय जे हम बड़ भागमंत छी
जे हम मनुक्खक आहार
बनए सऽ बचि गेलहुं
आ निषेचित बीआ क संचित कएने
आगू सन्तति क जन्म देब।
किछु कालक बाद
नीम गाछक फुनगी पर
लटकल सुखाएल नेनुआ
सेहो विलुप्त भेल देखलहुं,
खेआल आएल जेऽ लोक सभ बीया क लेल
अथवा अन्य घरेलू उपयोग लेल
तोइड़ क राखि लेओने होयत।
नीम क गाछो आब पतझड़ क बाद
नव रुप में आबि गेल छल।
ओहि पर नव प्रस्फुटित
ललौन सुगापंथी वर्णक
अति कोमल पात बिछ गेल छल,
जे मंद गति पवन क’ प्रभाव स
झूलैत नाचैत मद्धिम सुर में चैती गाओल क’
अभ्यास करैत प्रतीत होएत अछि।
ई सभ दृश्य रंग-बिरंग के चिड़ै सब क’
आकर्षित करऽ में कोनो कसरि
नहि छोड़ैत अछि।
चैत मास में सम्पूर्ण मिथिला क्षेत्र में
काक, घरैआ मैंइना,सूगा, कठफ़ोड़वा,
किंगफिशर, बगुला,भुल्ल वर्णक पैपा,
पौडकी, रंग बिरंगक कपोत,
प्रवासी पैघ पूंछ बला मैंइना,
कारी शिखा आ लाल मूंछबला बुलबुल,
कोइली, वनमूर्गी आदि पक्षी
आमतौर पर सक्रिय देखल जाएत अछि।
मनुक्खक व्यवहार स क्षुब्ध भऽ क’
आब बगड़ा के दरसन त’ दुर्लभ अइ
मुदा झाड़ीदार गाछक शाखा पर
रंग बिरंगक छोटछिन फुदकी चिड़ै
चिं चिं चुं चुं करैत चैत मास क दृश्य क’
मनोरम बनाबैत अछि।
चैत मासक भोर ओनहियो बड़
सोहावन होइत अछि ।
रोज भोर भिनसरे सूर्यक पहिल किरण
गाछक नव खिलल पात क’
चुमैत प्रतीत होइत अछि ,
चिड़ै सभक चहचहेनाइ हृदयकेँ
तिरपित करैत अछि,
प्रकृति अपने आपमे
एकटा जादू स कम नञ बुझबा जाईत अछि |
ई मधुमास में वसंत क प्रभाव से
मैंइना सभहक जोड़ी सेहो खाँहिस सजओने
चोंच में सुखल घास फूस लेओने
खोता बनाबऽ क अथक प्रयास में
लाइग जाएत अछि।
चिड़ै में देखल जाउ तऽ
घरेलु मैंइना एहन पक्षी होयत अछि,
जकरा एहि मास स’ही
आबै बला बादरि के हदस सताबैय लागैत अछि,
तै ओ ग्रीष्मक कड़कड़िया रौद स’ पहिले
जखन गहुमक बालि खेत में पाकऽ लागैत अछि
तखनहिं सऽ सुरक्षित घरक
रोसनदान के टोह में लाइग जाइत अछि आ
सुखल घास फूस लेने बारी बारी सऽ
रोसनदान म’ जमा केने
खोता बनेबा क’ काज प्रारंभ कऽ देत अछि ,
ताकि आबऽबला आंधी,पानि-बरसात
में चएन स’ रहि पाबी।
आब जब हम छत पर टहलैत
ई सब दृश्य क’ अवलोकन करैत छलहुं
तऽ अनायासे हमर दृष्टि
सामने बला मकान पर एकटा नेना पर
पड़ि जाएत छल ।
ओ नेना के बएस लगभग आठ नौ बरख क’ होयत,
जेऽ रोज दिन सामने बला मकान के
बालकोनी म’ झाड़ू लगाबैत आ
डंटा वला घरपोछना से पोछा करैत
दिख जाएत छल।
हम सोचलहुं जे कि
ओ नेना सामने बला मकानक
भाड़ेदार क’ चाकर होयत,
तत्क्षण में खेआल आएल जे
ई युग म तऽ बाल श्रम निषेध छैक आ
चौदह बरस तक बालक के
अनिवार्य शिक्षा ग्रहण करब आवश्यक छै,
त ई बालक
कोनो घर में घरेलू नोकर क’
काज कोना कऽ सकैत अछि,
फेरि चित्त में खेआल आएल
जे भऽ सकैत अछि जे ओ बालक
सामने बला मकानक भाड़ेदार क’
निकट संबंधी होयत।
वास्तविकता म’ जे भी हो
ओहि बालक क’ दिस हमर ध्यान
बरबस आकृष्ट भऽ जायत छल,
मुदा आई जे ओकर गतिविधि देखलहुं,
से आम दिन स’ बिल्कुल भिन्न छल।
ओतेक छोट नेना क’
सृजनशीलता के परिकल्पना देख
अवाक् भऽ गेलहुं,
जाहि उम्र में एकटा
सहरी मध्यमवर्गीय परिवारक बालक
भोरे भोर उठि के अप्पन बापक
सए दू सए रुपैया क’ चूना लगा दैत छैक।
माय बापक लाड़ प्यार म’ बिगड़ल बालक
बाप संगे टहलै जायत अछि त’
किंडरजाॅय चाकलेट, कुरकुरे चिप्स आदि
लेओने बिना बाप के घर नञ आबै दैत छै।
बापो सभटा याचना क’ पूरा करैत
अपना क’ सभ्रांत घरक होयबाक
साक्ष्य देबैत धर्मपत्नी क’ तरफ देख
गौरब सऽ मोछ पर हाथ फेरायत
अपना के सफल गिरहथ हेबाक
प्रमाण देबा में कोनो कसर नहिं छोड़ैत छैथ।
आई ओ गेहुंआ रंगक बालक
नेभी ब्लू रंगक हाफ पेंट आ
काला ब्लू रंगक धारीदार गोल गला वला
हाफ गंजी पहिनने,
छोट छोट कंचिआयल आँखि,
उजड़ल केस माथा
परंच हरखित मुखाकृति लेओने
निफिकिर भाव स’ हाथ में बाल्टी लटकौनै
नीमक गाछक जइड़ क’ नजदीक आयल।
हम छत पर ठाढ़ भऽ केऽ ओकर
गतिविधि क’ निरीक्षण करैत छलहुं।
ओ गाछक जइड़ लगाँ
बाल्टी मग राखि देलक आ
चारु कात इम्हर उम्हर
नजर फिरएला क’ बाद कनि दूरि पर
छोटछिन बाउंड्री लग पसरल
पुरान ईंट के एक एक क’ केऽ बिछै लागल
आओर जब पाँच टा ईंट पूइर जाय त’
ओकरा भईर पांजि दूनु हाथे उठा कऽ
गाछि लगाँ बारि बारि सऽ जमा करैए लागल।
हम सोचलहुं जे बालक कोनो
छोट मोट खेलेऽ बला घर बनाओत
जेना नदी तट पर बालक सभ
पाएर पर रेत क घरौंदा बनाबऽ आ
फेरि पाएर हटाकेऽ कनि देर बाद
घरौंदा गिरा दैत अछि।
रेत पर लातक निसान बनाएब निहारब
बालपन म एकटा पैघ मनोरथे
जकाँ होइत अछि।
जाहि उम्र में मां बाप के छत्रछाया में
रहबाक बाद बालक क’
अल्हड़पन आ जिदपना सऽ
मां बाप परेसान रहैत छै,
जाहि समय काल में
गाम घरक एकतुरिया सभ पीठ पर
भाड़ी बस्ता आ पाइनक बोतल लटकौनै
मां बाप के संगे रोड किनार में
इसकुल बस पकड़बा
लेल घंटो ठाढ़ रहैत अछि।
मां बाप नेना के शिक्षा ग्रहण करब
आ पैघ भ’के डाक्टर इंजीनियर बनाएब,
ई कल्पना म’ मग्न भऽ केऽ
एकटक इसकुल बस के आगमन क
निहारैत रहैत अछि।
ठीक ओहि काल म अप्पन
एकतुरिया स बिल्कुल अलग होयतहुं
ओहि बुतरू क “डाइरेक्ट टू क्रियेटिविटी”
देख क हम बड़ आश्चर्यचकित भेलहुं।
हम देखलहुं जे कनि देर बाद ओ बालक
गाछक जइड़ के चारु ओर
ईंटा क दोहरा मोट घेरा देबअ लागल
जेना बागक क्यारी के
ईंट स घेरल जाइत अछि।
फेरि ओ मकानक भितर गेल आ
एकटा खुरपी लेने आएल वा
गाछक जइड़ लगाँ माटि के कोइर कऽ
भुरभुरा करऽ लागल ।
तकर बाद हाफ पेट के जेब सऽ
एकटा कागज क’ पुड़िया निकाललक
आओर ओकरा खोलि केऽ ओहि में से
ढेर सारा कारी रंग क बीया,
गाछक जइड़ क’ बगल भुरभुर माइट में
एक एक कऽ के रोपैय लागल।
बाल्टी स’ मग लऽ के पाइन कऽ
बारम्बार छिड़कैत,
खुरपी से कनि गढ़ा कऽ के गाछक
चारु कात बीया रोपला क’ काज संपन्न भेल।
हमरा विदित भऽ गेल जेऽ
अतीत क सुखाएल नेनुआ क पुनःचक्रण
एक स्वतःजनित क्रिया नञ् छल आ
नेना क’ हाफ पेंटक जेब में
ओ कारी बीया रहैय , से सए प्रतिशत
नेनुआ के होएत।
गाछ पर लटकल लुधकल नेनुआ के
भूत भविष्य आ वर्तमान परिदृश्यक
सृजनहार कर्ता-धर्ता के पता चलि गेल छल।
जेना अंतरिक्ष केन्द्र पर राकेट लांचर स’
उपग्रह क प्रक्षेपण कएल जाईत अछि
तहिना नीमक गाछक जइड़ सऽ
नेनुआ क बीया रोइप अकास में
नेनुआ क प्रक्षेपण क पृष्ठभूमि
ओरिआओन कएल गेल छल ।
बालक के दिमाग मिसाइलमेन जकां असीम
परंच भवितव्य घरक पोछा
लगाएब बला चाकर तक सीमित।
हम आवाज देलिऐक तऽ ओ नेना
हमरा दिश ताकलक आ
तत्क्षण मूड़ि घूमाकऽ
वापिस अप्पन घर में चलि गेल।
हमहुं सोचलहुं जे हम पुछताछ
क’ केऽ कथि लेल ओहि
बालक क’ सृजनशीलता में बाधक बनब।
भाग्य क’ की छै पढ़ि लिखि कऽ
अजुका बजारवादी
इलिम रहित शिक्षा व्यवस्था में
विद्वानों जन सठिआ जाइत अछि
आ नोकरी नहिं भेटला पर
बीच सड़क आंदोलनरत रहैत अछि
मुदा सृजनशीलता जखन
विकसित होइत अछि तऽ
ऊ आगाँ जा क’
बहुविध अनुसंधान कऽ जन्म देइत अछि।
सबसे पैघ त’ ई मन थिक
जे अप्पन खालीपनो म’
परिस्थितिजन्य धेह तलासिए लेइत अछि।

स्वरचित आओर मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
रचनाकार – मनोज कर्ण
कटिहार (बिहार)

2 Likes · 592 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from मनोज कर्ण
View all

You may also like these posts

- कुछ ऐसा कर कमाल के तेरा हो जाऊ -
- कुछ ऐसा कर कमाल के तेरा हो जाऊ -
bharat gehlot
इबादत
इबादत
Roopali Sharma
तुम हो एक आवाज़
तुम हो एक आवाज़
Atul "Krishn"
लघु कथा:सुकून
लघु कथा:सुकून
Harminder Kaur
जाओ तेइस अब है, आना चौबिस को।
जाओ तेइस अब है, आना चौबिस को।
सत्य कुमार प्रेमी
*सत्य राह मानव की सेवा*
*सत्य राह मानव की सेवा*
Rambali Mishra
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
Ajit Kumar "Karn"
जो सोचूँ मेरा अल्लाह वो ही पूरा कर देता है.......
जो सोचूँ मेरा अल्लाह वो ही पूरा कर देता है.......
shabina. Naaz
ये गजब की दुनिया है जीते जी आगे बढने नही देते और मरने के बाद
ये गजब की दुनिया है जीते जी आगे बढने नही देते और मरने के बाद
Rj Anand Prajapati
मेरी फूट गई तकदीर
मेरी फूट गई तकदीर
Baldev Chauhan
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
(((((((((((((तुम्हारी गजल))))))
Rituraj shivem verma
प्रेरणा
प्रेरणा
संतोष सोनी 'तोषी'
कैसे कहे
कैसे कहे
Dr. Mahesh Kumawat
बेटी की पुकार
बेटी की पुकार
लक्ष्मी सिंह
यादें
यादें
Raj kumar
यक्षिणी- 23
यक्षिणी- 23
Dr MusafiR BaithA
Baat faqat itni si hai ki...
Baat faqat itni si hai ki...
HEBA
11. O My India
11. O My India
Santosh Khanna (world record holder)
हरे हैं ज़ख़्म सारे सब्र थोड़ा और कर ले दिल
हरे हैं ज़ख़्म सारे सब्र थोड़ा और कर ले दिल
Meenakshi Masoom
हम सहिष्णुता के आराधक (गीत)
हम सहिष्णुता के आराधक (गीत)
Ravi Prakash
!........!
!........!
शेखर सिंह
गर्मी उमस की
गर्मी उमस की
AJAY AMITABH SUMAN
सोना  ही रहना  उचित नहीं, आओ  हम कुंदन  में ढलें।
सोना ही रहना उचित नहीं, आओ हम कुंदन में ढलें।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
ज़िद..
ज़िद..
हिमांशु Kulshrestha
॥ जीवन यात्रा मे आप किस गति से चल रहे है इसका अपना  महत्व  ह
॥ जीवन यात्रा मे आप किस गति से चल रहे है इसका अपना महत्व ह
Satya Prakash Sharma
"अल्फ़ाज़ "
Dr. Kishan tandon kranti
हम सब कहीं न कहीं से गुज़र रहे हैं—कभी किसी रेलवे स्टेशन से,
हम सब कहीं न कहीं से गुज़र रहे हैं—कभी किसी रेलवे स्टेशन से,
पूर्वार्थ देव
मुकम्मल क्यूँ बने रहते हो,थोड़ी सी कमी रखो
मुकम्मल क्यूँ बने रहते हो,थोड़ी सी कमी रखो
Shweta Soni
आदिशक्ति का महापर्व नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मा
आदिशक्ति का महापर्व नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मा
Shashi kala vyas
चिंतन तो बहुत किया किसी खास वज़ह को सोच कर
चिंतन तो बहुत किया किसी खास वज़ह को सोच कर
ruchi sharma
Loading...