चिंतन तो बहुत किया किसी खास वज़ह को सोच कर

चिंतन तो बहुत किया किसी खास वज़ह को सोच कर
मगर अंत में हर अच्छी, बुरी घड़ी में केवल खुद को साथ पाया
जिसके लिए किया,जिसके बारे me सोचा वो कहीं से कहीं तक
या यूँ कह लो दूर दूर तक नजर नहीं आया……
मेरे अपने विचार