यादें

यादें
====
कहाॅं गए वह बाग-बगीचे,
कहाॅं गयी है वह क्यारी।
कहाॅं गयीं बैठक चौपालें,
कहाॅं गयी दुनियाॅं-दारी।।
कहाॅं गए वे नाते रिश्ते,
जिन पर प्यार लुटाते थे।
कहाॅं गए खलिहान खेत वे,
जिन पर हम इतराते थे।।
कहाॅं गए वे ताल कूप सब,
कहाॅं गए नदिया नाले।
जिनमें रोज नहाने जाते,
कंधे पर गमछा डाले।।
कहाॅं गए वे कच्चे रस्ते,
जिन पर है बचपन बीता।
कहाॅं गए वे यार दोस्त सब,
रामू राजू और गीता।।
गोली कंचे, गिल्ली डंडा
सब यह पीछे छूट गये ।
जीवन की इस भाग दौड़ में,
सारे सपने टूट गए।।
~राजकुमार पाल (राज)