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15 Feb 2024 · 1 min read

कैसा क़हर है क़ुदरत

क़ुदरत का ये कैसा क़हर है
साँझ से भोर तक
जिंदगी का हर पल
रहस्य लगता है

लगता है गली के कुत्ते –
और पेड़ों पे
गौरैइया भी बौउरा गये हैं
सब चुप हैं

हर ओर बस सन्नाटा है
घर के भीतर अपनों के
दिल का धड़कन
और पड़ोसियों के
सिर्फ़ साँस का शोर
सुनाई देता है

न जाने कहाँ गये
जान की बाज़ी का शोर करे वाले
उनकी आवाज़ तो
सिर्फ़ मौत के ख़बर
के ख़ौफ़ से ही बँद है

साँझ से भोर तक
हर पल एक सन्नाटा है

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