मेहंदी देती सीख

जब रंग गहरा लाती है मेहंदी,
तब हाथों की शोभा बढ़ाती है मेहंदी
ये रंग प्रीत का है, दर्शाती मेहंदी
ये संग रीत का है, दिखलाती मेहंदी
ज़िन्दगी है परीक्षा सिखलाती मेहंदी
हम होंगें कामयाब बतलाती मेहंदी
अनेक परीक्षाओं से गुजरती है मेहंदी
तब हाथों में रचाई जाती है मेहंदी
पहले पत्तियों को तोड़कर,
फिर धूप में छोड़कर,
अच्छी तरह से सुखाकर,
कूटकर और पीसकर,
फिर महीन सा छानकर,
बाजार में बेचकर,
लाता ग्राहक मोल कर,
छनी हुई को छानकर,
पानी में मथकर,
अन्य पदार्थ डालकर
कुछ देर रखकर,
भावों को समेटकर,
जब सुहागिनों के हाथों में रचाई जाती है मेहंदी।
तब कहीं जाकर रंग प्रीत का
लाती है मेहंदी।
क्यूं छोटी – छोटी बाधाओं से
मनुष्य हार जाता है….!!
हार कर उदासियों को
नित गले लगाता है….।।
सिखाती मेहंदी अपना रंग लुटाना
टूटकर बिखरकर फिर निखर जाना
भगवती पारीक ‘मनु’ 😌