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20 Jun 2024 · 1 min read

अब मज़े बाक़ी कहाँ इंसानियत के वास्ते।

अब मज़े बाक़ी कहाँ इंसानियत के वास्ते।
आज के इस दौर में बस दोगलों की मौज है।।
अब कहाँ से ढूंढ के लाऊँ मैं बाबा भारती?
मेरी बस्ती में खडग सिंहों की पूरी फौज है।।
😢प्रणय प्रभात😢

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