शून्य का संसार

शून्य एक रहस्यमय खामोशी है,
न कोई आकार, न कोई रेखा, अनंत,
फिर भी वह सबको अपने में समेटता है,
सभी का आरंभ और अंत वही करता है।
जन्म और मृत्यु की परिभाषा भी वही,
दुनिया के हर सवाल की गहरी जड़ वही,
न कोई रूप, न कोई स्वरूप मगर वह आधार है,
शून्य में ही छिपा है अनंत संभावनाओं का सागर।
नव निर्माण और विध्वंस का तात्पर्य भी,
शून्य में ही मिलता है हर विचार का सार भी,
यही वह स्थान है जहाँ से सब कुछ शुरू होता,
और शून्य में ही अनंत का बीज समाहित होता है।
अदृश्य, अभेद्य, परंतु साकार भी शून्य,
शून्य की गहराई में है हर ज्ञान का आकार,
यह न कोई नकारात्मकता, न शून्यता का संकेत,
बल्कि वह अद्वितीय शक्ति है, जिसका कोई अंत नहीं है।
इसी शून्य में समाहित है सारा जग संसार,
वह शून्य, जो हर चीज का आधार, विकार है,
शून्य का न कोई अस्तित्व, वह अनकही कहानी है,
जो सब कुछ सृजित करता, सब कुछ स्वीकार करता।
यही तो है, जो सबको जोड़ता है कहीं,
शून्य न कभी डराता है, न कभी बुरा करता है,
यह वह स्थान है, जहाँ से हर कुछ शुरू हुआ है,
बिना शून्य के कुछ भी संभव नहीं इस दुनिया में।
यह शून्य ही है, जो रचनाओं को जन्म दे,
हर सवाल का सार्थक उत्तर छुपाए हुए है शून्य,
यह वो स्थान है, जहाँ कुछ भी नहीं सबकुछ सम्भव,
हर यथार्थ की सच्ची खोज का रूप भी शून्य मे लिप्त है।
शून्य में ही बसी है सम्पूर्ण शक्तियों का अनंत केंद्र,
शून्य वह संसार है जहाँ संत, ऋषि, देव सभी विद्यमान,
शून्य, में ही हर विचार का सृजन,सामाजिक विकास होता,
शून्य ही है जो सबका है संधान वह है सिर्फ और सिर्फ शून्य।