संवारना

एक है ईश्वर
करुणा का सागर
फिर आये हैं राम हमारे
निज संकल्प हो प्राण से प्यारे
कृश्न की बंसरी रास बिखेरे
श्रृंगार को नहीं नकारे
भावनाओं से उलझा
इतिहास हमारा
क्यों न हम उसे सँवारे।
——शशि महाजन
एक है ईश्वर
करुणा का सागर
फिर आये हैं राम हमारे
निज संकल्प हो प्राण से प्यारे
कृश्न की बंसरी रास बिखेरे
श्रृंगार को नहीं नकारे
भावनाओं से उलझा
इतिहास हमारा
क्यों न हम उसे सँवारे।
——शशि महाजन