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24 Aug 2024 · 1 min read

मेरे दुःख –

मेरे दुःख –
मैं मानता हूं हर इंसान के जीवन में दुःखों की अपनी एक अलग वज़ह होती हैं और उनसे लड़ने का भी अपना अलग-अलग तरीक़ा होता है
मेरे जीवन में भी दुखों ने जब दस्तक दी, शायद मुझे उस वक्त ऐसा लगता था कि मैं उन दुखों के लिए तैयार नहीं हूं, लेकिन जैसे-जैसे जिंदगी बीतती गई, मुझे समझ में आने लग गया की दुख आपकी उम्र, हैसियत, कद काठी, अमीर-गरीब नहीं देखता और मैं कोई पहली इंसान नहीं हूं जिसके जीवन में दुख है, सभी है जिनके जीवन में कुछ ना कुछ दुःख हैं
हां यह अलग बात है कि अपना दुख हर किसी को हमेशा ज्यादा ही लगता है और मुझे भी लगता था लेकिन जैसे-जैसे समय बिताता गया, मुझे मेरा दुख कम लगने लगा और लोगों का ज्यादा फिर मैंने सोचा अगर लोग इतने दुख में खुश रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं, अब मुझे मेरे दुखों से, मेरे हालातो से कोई शिकायत नहीं है l 💔🩶

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