Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
9 Jul 2023 · 1 min read

माँ

मुझमें ही माँ तू रहती है, तुझसे ये मेरा जीवन
तेरी ही परछाई हूँ मैं, तू ही है मेरा दर्पण

शूल भरी राहों पर चलना तूने ही है सिखलाया
समय बुरा हो या फिर अच्छा, साथ सदा तेरा पाया
संस्कारों से किया सुसज्जित, तूने ही मेरा बचपन
मुझमें ही माँ तू रहती है, तुझसे ये मेरा जीवन

तेरी आँखों के सागर में,प्रेम छलकता है निश्छल
छाँव मुझे देता ममता की, माँ वो तेरा ही आँचल
नहीं किसी रिश्ते में लगता, तेरे जैसा अपनापन
मुझमें ही माँ तू रहती है, तुझसे ये मेरा जीवन

पढ़ लेती चेहरे बच्चों के, कौन यहाँ तुझ सा ज्ञानी
रिश्तों को बाँधे रखने में, कब कोई तेरा सानी
सुलझायी है तूने ही तो, मेरे मन की हर उलझन
मुझमें ही माँ तू रहती है, तुझसे ये मेरा जीवन

इक तेरे होने भर से ही घर लगता है अपना घर
सदा दुआओं से तेरी ही चलते हैं हम जीवन भर
तुझसे ही महके घर अपना, जैसे फूलों का उपवन
मुझमें ही माँ तू रहती है, तुझसे ये मेरा जीवन

09-07-2023
डॉ अर्चना गुप्ता

Loading...