सजल
सजल
सजल
थकन से नींद आयी है, अकेला लाल है सोता।
सुने अब लोरियां कैसे, रहे बचपन सदा रोता।
पुकारे मात को अपनी, दिखे ना प्यार का आँचल।
लड़ाए लाड़ उसको भी, सपन ये आँख में होता।।
सयाना सा लगे अब तो, सयानी बात करता है।
लकीरें खींच ली देखो,नए अहसास है बोता ।।
गयी है नोकरी पर माँ, रखेगा ध्यान खुद अपना।
पलेगा बीच गैरों के, खुशी की नींद है खोता।।
नया ये दौर है सीमा, हुआ बचपन अकेला सा।
कमाना खूब है पैसा, मगर अरमान वो धोता।।
सीमा शर्मा