मेरे पड़ोस के लोग

मेरे पड़ोस में जो लोग रहते है
वे मेरे बारे में क्या सोचते है ?
मैं ठीक ठाक नहीं जानता
मैं नहीं जानता वे जीते है या मरते है ।
मैं सुबह अपने काम के लिए निकलता हूं
शाम में अपने काम से लौटता हूं ।
दरअसल मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि
लोग क्या सोचते है !
चौक पर दोस्त मिल जाए तो
बतिया लेता हूं मगर
नहीं सुनाता अपनी व्यथा कोई ।
लोग बोलते है मैं सुन लेता हूं
नहीं देता प्रतिक्रिया कोई ।
पड़ोस में बैठा आदमी
रोज बुनते है साजिशें
ढूंढते है नई नई तरकीबें
मुझे अपने गिरोह में लाने की मगर
मुझ पर नहीं होता इसका असर कोई ।
मेरे पड़ोस में जो लोग रहते है
मैं नहीं जानता वो जीते है या मरते है ।।
~विमल