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23 Sep 2023 · 1 min read

बचपन

कितना सुंदर कितना प्यारा,
कितना निश्छल हैं ये बचपन ।
लाड दुलार प्रेम का सागर,
फूलों का उपवन हैं बचपन ।

डांट डपट बिन मतलब के ही
हृदय पर अंगार सी क्यों बौछार करें ।
लड़ाई झगड़ा हिंसा तुम करते
मनः स्थिति पर इनके प्रभाव पड़े ।

पढ़ाई लिखाई भी है ज़रूरी मगर
क्यों लादते जिससे बाल मन को बोझ लगे।
चारो तरफ़ यदि होगा हिंसा
मन मस्तिष्क पर कैसे शुद्ध विचार चढ़े ।

उम्र हैं जो मग्न मस्त
खुशियों की सौगात सी
शोषण से हो ग्रस्त फिर कैसे
बाल मन स्वयं का विकास करें ।

©अभिषेक पाण्डेय अभि

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