बेटियां ज़ख्म सह नही पाती
आप को मरने से सिर्फ आप बचा सकते हैं
नज़र बचा कर चलते हैं वो मुझको चाहने वाले
हां मैं हस्ता हू पर खुश नहीं
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"तानाशाही" की आशंका खत्म, "बाबूशाही" की शुरू। वजह- "चन्द्र ब
विद्यावाचस्पति Ph.D हिन्दी
पहले की अपेक्षा साहित्य और आविष्कार दोनों में गिरावट आई है।इ
चुप रहने की आदत नहीं है मेरी
यहां बच्चे पैदा करने की योजना बना रहे पुरुषों के लिए कुछ सुझ
ईश्वरीय समन्वय का अलौकिक नमूना है जीव शरीर, जो क्षिति, जल, प
कदम बढ़े मदिरा पीने को मदिरालय द्वार खड़काया
प्रतिभाशाली बाल कवयित्री *सुकृति अग्रवाल* को ध्यान लगाते हुए
यहीं सब है
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}