वह मुझे दोस्त कहता, और मेरी हर बेबसी पर हँसता रहा ।
सपनों की इस आस में,सफलता की भीनी प्यास में,
या खुदा, सुन मेरी फ़रियाद,
पहले आसमाॅं में उड़ता था...
नेताओं सा हो गया उनका भी किरदार
भीतर तू निहारा कर
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
हमने अपने इश्क को छोड़ा नहीं
मेरी ज़िन्दगी का सबसे बड़ा इनाम हो तुम l
दुश्मन ने छल-बल के बूते अपनी शातिर चालों से,
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
शासकों की नज़र में विद्रोही
जुगनू की छांव में इश्क़ का ख़ुमार होता है