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23 Dec 2023 · 2 min read

सम्मान

लघुकथा

सम्मान

सामान्यतः सोसायटी के सचिव महोदय गणतंत्र दिवस और स्वाधीनता दिवस से लगभग एक-दो दिन पहले ही सूचना-पत्र के माध्यम से सभी रहवासियो को सूचित कर देते हैं कि इस बार झंडा कौन फहराएँगे ? अक्सर होता यह है कि सोसायटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव या कोषाध्यक्ष ही बारी-बारी से झंडा फहराते हैं।
इस बार सूचना-पत्र पढ़कर सभी चकित रह गए। “कौन हैं ये अशोक कुमार, जो इस बार झंडा फहराएँगे ?”
कई लोगों ने जिज्ञासावश सचिव से पूछा भी। उन्होंने मुसकराते कहा, “कृपया आप समय पर पहुंच जाइएगा। आपको खुद ही पता चल जाएगा।”
निर्धारित समय में अपनी कॉलोनी के सफाई कर्मी को, जो रोज सुबह घर के बाहर रखे हुए डस्टबिन से कचरा उठाने का काम करता है, उसे झंडा फहराते देखकर लोग सुखद आश्चर्य से भर गए।
झंडा फहराने के बाद सचिव ने अपने उद्बोधन में कहा, “अब आप सबको मालूम पड़ गया होगा कि अशोक कुमार कौन है ? यही अशोक है, जो कोरोना की तीन-तीन लहरों के बीच प्रतिदिन हमारी कॉलोनी की सफाई करते हुए हमें कोरोना से बचाने के लिए प्रयासरत रहा। इन्हीं की बदौलत ही हम सभी सुरक्षित रहे, हमारी कॉलोनी में कोरोना महामारी की वजह से कोई अप्रिय घटना नहीं घटी। आश्चर्य की बात कि जो व्यक्ति हमारी सेवा में हमेशा लगा रहा, हम उसका नाम तक नहीं जानते। इनका सम्मान करना हमारा नैतिक दायित्व था। यही कारण है कि इस बार हमने इन्हीं से झंडा फहराने का निर्णय लिया। आशा है आप सबको भी हमारा यह निर्णय अच्छा लगा होगा।”
तालियों की गड़गड़ाहट से आकाश गूँज उठा। सभी अशोक कुमार को प्रशंसाभरी नजरों से देख रहे थे।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़

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