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1 Mar 2025 · 1 min read

शे'र कैसे कहूँ

मैं चांद फूल पे खुश्बू पे शे’र कैसे कहूँ
मैं तितलियों पे या जुगनू पे शे’र कैसे कहूँ /1/

कदम कदम पे बिलखते यतीम बच्चों को
भला मैं देख के जादू पे शे’र कैसे कहूँ /2/

भरा है जब के हर इक मन उदासी पसरी है
मैं मौज मस्ती पे याहू पे शे’र कैसे कहूँ /3/

नही है गांव में मकतब या कोई चारागर
हरम के दैर के पहलू पे शे’र कैसे कहूँ /4/

खफ़ा खफ़ा सा लगे है वजूद मुझसे मेरा
मैं अपने किस्से पे आंसू पे शे’र कैसे कहूँ /5/

है दर्द फूलों को कांटो से जब बिछड़ने का
मैं खिदमतों के सियह रू पे शे’र कैसे कहूँ /6/

खयाल रखने में नाकाम हो रहा जब मैं
गुलाब ख्वाब पे गेसू पे शे’र कैसे कहूँ /7/

बदल के भेष चुराई गई हो सीता जहाँ
मैं स्वर्ण हिरनो पे साधू पे शे’र कैसे कहूँ /8/

बस अपने वास्ते जीते जहाँ हैं लोग वहाँ
भला मैं सूर्य पे शम्भू पे शे’र कैसे कहूँ /9/

कलम ही ढूंढती हो कद्र दान जब अपने
मैं कुर्सियों पे कृपालु पे शे’र कैसे कहूँ /10/

सुखनवरी है मेरी जात आईना हूँ मैं
किसी भी एक ही बिंदू पे शे’र कैसे कहूँ /11/

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