शे’र कैसे कहूँ

मैं चांद फूल पे खुश्बू पे शे’र कैसे कहूँ
मैं तितलियों पे या जुगनू पे शे’र कैसे कहूँ /1/
कदम कदम पे बिलखते यतीम बच्चों को
भला मैं देख के जादू पे शे’र कैसे कहूँ /2/
भरा है जब के हर इक मन उदासी पसरी है
मैं मौज मस्ती पे याहू पे शे’र कैसे कहूँ /3/
नही है गांव में मकतब या कोई चारागर
हरम के दैर के पहलू पे शे’र कैसे कहूँ /4/
खफ़ा खफ़ा सा लगे है वजूद मुझसे मेरा
मैं अपने किस्से पे आंसू पे शे’र कैसे कहूँ /5/
है दर्द फूलों को कांटो से जब बिछड़ने का
मैं खिदमतों के सियह रू पे शे’र कैसे कहूँ /6/
खयाल रखने में नाकाम हो रहा जब मैं
गुलाब ख्वाब पे गेसू पे शे’र कैसे कहूँ /7/
बदल के भेष चुराई गई हो सीता जहाँ
मैं स्वर्ण हिरनो पे साधू पे शे’र कैसे कहूँ /8/
बस अपने वास्ते जीते जहाँ हैं लोग वहाँ
भला मैं सूर्य पे शम्भू पे शे’र कैसे कहूँ /9/
कलम ही ढूंढती हो कद्र दान जब अपने
मैं कुर्सियों पे कृपालु पे शे’र कैसे कहूँ /10/
सुखनवरी है मेरी जात आईना हूँ मैं
किसी भी एक ही बिंदू पे शे’र कैसे कहूँ /11/