कर्म
8jan 25
लेखक डॉ अरूण कुमार शास्त्री दिल्ली
निस्वार्थ भाव से सेवा करना उम्दा कर्म कहलाता है।
मानव समाज के प्रति किए कार्य ये सुंदर संदेश पहुंचाते हैं।
अपने लिए तो जीवन के संसाधन सभी जुटाते हैं।
परोपकार के कार्य जो करते उम्दा आशीर्वाद वो पाते हैं।
तेरा मेरा करते रहते साथ कभी न किसी का देते।
अधिकतर मनुष्य इस जगत में, ऐसे समय बिताते हैं।
लूट खसोट और भ्रष्टाचार करके अपनी झोली भर जाते हैं।
ईश्वर उनको माफ न करता पाप के भागी हो जाते हैं।
धन संपत्ति जोड़ वो लेते लेकिन सम्मान न पाते हैं।
अपने लिए तो जीवन के संसाधन सभी जुटाते हैं।
तेरा मेरा करते रहते साथ कभी न किसी का निभाते हैं।
अधिकतर मनुष्य इस जगत में, ऐसे समय बिताते हैं।
सूरज को देखिए सबको रौशनी और ऊर्जा देता है।
धरती को देखिए सबको भोजन खाद्य पदार्थ अर्पित करती है।
वृक्षों को देखिए सबको भोजन फल फूल देकर प्रेम से तर्पित करते हैं।
नदिया का सारा जीवन समग्र मानव समाज को जल देते निकलता है।
हम सब तो मानव शरीर पाने वाले सबसे उम्दा योनि वाली रचना उस भगवान की।
फिर क्यों न करें अच्छे कार्य और सेवा इस संसार की ।
निस्वार्थ भाव से सेवा करना उम्दा कर्म कहलाता है।
मानव समाज के प्रति किए कार्य ये सुंदर संदेश पहुंचाते हैं।