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29 May 2024 · 1 min read

रुख के दुख

रुख के दुख

रसीले फल मैं तुझे देता
लात घूंसे मैं सबसे लेता

फिक्र नही किसी को मेरी
हर ख्वाहिशें पूरी करूं तेरी
रसीले फल…..

जड़ छाल फल ले जाते
हाल जानने वापस न आते

ये आदत कतई न भाते
मेरी एक पौधे नही लगाते !
रसीले फल…….

फुल.पत्ती भी ले जाते
अपना घर-आंगन महकाते

अपने घरों को सजाते
दस-दस पौधे जरूर लगाते
रसीले फल………

शीतल छांव ,खुशबू पाओ
प्राणदायक वायु है आओ।

मेरी अरमां है मुझे बढ़ाओ
एक नही पूरी बाग लगाओ
मानवता का फर्ज निभाओ
धरती को स्वर्ग बनाओ।।

रचनाकार
संतोष कुमार मिरी
शिक्षक जिला दुर्ग

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