उल्लाला छंद

उल्लाला छंद
शीर्षक :मानव का धर्म
हम सब ईश्वर अंश हैं, श्रद्धा मनु के वंश हैं।
जीवन का आधार हो, जीवों से अति प्यार हो।
प्रेम ज्ञान बाँटा करो, बैर भाव पाटा करो।
भेद भाव सब दूर हो, अपनापन भरपूर हो।।
मानव सेवा धर्म हो, उत्तम अपना कर्म हो।
आओ रहें सब मिलकर, जात-पात सब भूलकर।
नेक कर्म आधार हो,सदा श्रेष्ठ व्यवहार हो।
मनुज सभी सुख से रहे, दरिया खुशियों की बहे।।
भले यज्ञ करते रहें,ईश ध्यान धरते रहें।
परहित असली मर्म है, दया क्षमा ही धर्म है।
धर्मों का यह सार है, प्यार जगत आधार है।
सारे प्राणी मित्र हो,निर्मल हृदय पवित्र हो।।
नरेन्द्र सिंह, गया
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